Anuttar Yogi : Tirthankar Mahaveer (4 Volume Set) {Volume-4}

Hardbound
Hindi
9788126315666
2nd
2017
4th
366
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अनुत्तर योगी तीर्थंकर महावीर - 4
(चार खंडों में)
राम, कृष्ण, बुद्ध जैसे प्रमुख ज्योतिपुरुषों में विश्व में आधुनिक सृजन और कला की सभी विधाओं पर पर्याप्त काम हुआ है। इस श्रेणी में तीर्थंकर महावीर ही ऐसे हैं जिन पर लिखा तो बहुत गया है किन्तु आज तक कोई महत्त्वपूर्ण सृजनात्मक कृति प्रस्तुत न हो सकी। यह पहला अवसर है जब प्रसिद्ध कवि-कथाकार और मौलिक चिन्तक वीरेन्द्र कुमार जैन ने अपने पारदर्शी विज़न वातायन पर सीधे-सीधे महावीर का अन्त:साक्षात्कार करके उन्हें निसर्ग विश्वपुरुष के रूप में निर्मित किया है। हज़ारों वर्षों के भारतीय पुराण-इतिहास, धर्म, संस्कृति, दर्शन, अध्यात्म का गम्भीर एवं तलस्पर्शी मन्थन करके कृतिकार ने यहाँ इतिहास के पट पर महावीर को जीवन्त और ज्वलन्त रूप में अंकित किया है।
पहली बार यहाँ शिशु, बालक, किशोर, युवा, तपस्वी, तीर्थंकर और दिक्काल विजेता योगीश्वर न केवल मनुष्य के रूप में बल्कि इतिहास-विधाता के रूप में सांगोपांग अवतीर्ण हुए हैं। इस प्रकार ऐतिहासिक और पराऐतिहासिक महावीर का एक अद्भुत सामंजस्य इस उपन्यास में सहज ही सिद्ध हो सका है। इस उपन्यास में महावीर एकबारगी ही जितने प्रासंगिक और प्रज्ञापुरुष हैं उतने ही शाश्वत और समकालीन हैं। ऐन्द्रिक और अतीन्द्रिक अनुभूति-संवेदन का ऐसा संयोजन विश्वसाहित्य में विरल ही मिलता है।
प्रयोग के लिए, शिल्प या फॉर्म को सतर्कतापूर्वक गढ़ने का यहाँ कोई बौद्धिक प्रयास नहीं है। आत्मिक ऊर्जा का पल-पल नित नव्य परिणमन ही यहाँ रूप शिल्पन के वैचित्र्य की सृष्टि करता है। सन्देह नहीं कि इस उपन्यास में सुहृद पाठक महाकाव्य में उपन्यास और उपन्यास में महाकाव्य का रसास्वादन कर सकेंगे।

वीरेन्द्र कुमार जैन (Virendra Kumar Jain )

वीरेन्द्र कुमार जैन - अन्तश्चेतना के बेचैन अन्वेषी, प्रसिद्ध कवि-कथाकार और मौलिक चिन्तक । प्रथम महायुद्ध के दिनों मन्दसौर में जन्म तथा इन्दौर में एम.ए. तक शिक्षा। वहीं साहित्यिक जीवन का आरम्

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