Peelee Chhatari Wali Ladki

Paperback
Hindi
9789352291601
5th
2022
210
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"मेरे पास यही कुछ तो है

भाई उदय प्रकाश, क्या आपसे मुलाकात हो सकती है? / दिल तो बलराज मेनरा से भी मिलने को बहुत चाहता है / कोई उपाय नहीं, फिर भी कुछ तो होना ही चाहिए / नामा-ओ-पयाम, एक प्राइवेट ख़त लेकिन एक मुश्किल है कि मैं इतना पब्लिक आदमी हूँ/ कुछ भी निजी नहीं रहा / अन्दर ही अन्दर घूमते हुए / उदय प्रकाश तुम बहुत, बहुत ही दूर निकल जाते हो, मैं घबरा जाता हूँ / जैसे मैं घबराया था चेखव का वार्ड नम्बर सिक्स पढ़कर / या मंटो की कहानियाँ मम्मी, मोज़ेल, टोबा टेक सिंह, ठण्डा गोश्त / सोल्झेनित्शिन का कैंसर वार्ड / मार्क्वेज़ का एक पेश गुप्ता मौत की रूदाद और तन्हाई के सौ बरस / अपनी मिसाल आप बेदी की एक चादर मैली-सी

सोचता हूँ मुलाकात होगी तो क्या करेंगे ? / जो नहीं कहें तो मर जायेंगे भाई उदय प्रकाश / आपको याद होगी वो कहानी?/मेरे लिए तो वो पहली ही थी / जब (शायद) स्कूल मास्टर शहर को रवाना होते हैं/और उन्हें डिलीरियम एंड इनफिनिटम आ लेता है/ अज़ल से अबद तक फैली हुई ये कथा, इन्सान की सृष्टि-कथा / चन्द घण्टों में तमाम हो जाती है कोई नैरेटर बताता भी है/ और उसके मानी नसीजों को निचोड़कर रख देते हैं

उदय प्रकाश आगे बढ़कर अन्त को छू लो तुम्हें कभी तपती हवा न लगे / मेरी जो बची-खुची ज़िन्दगी है, वो तुम्हें मिले / मेरे पास बस यही कुछ तो है/ इन्कार ना करना, ले लेना, बल्कि बरत लेना..."

- इफ़्तख़ार जालिब

(पाकिस्तान के सुप्रसिद्ध वरिष्ठ शायर इफ़्तख़ार जालिब की यह कविता 2001 में रफीक अहमद के सम्पादन में निकलने वाली पाकिस्तान की प्रसिद्ध उर्दू पत्रिका 'तहरीर में प्रकाशित हुई थी। मार्च, 2004 में जालिब साहब का लाहौर में इन्तकाल हो गया ।)

उदय प्रकाश (Uday Prakash )

उदय प्रकाश हिन्दी कथा और कविता में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित साहित्यकार हैं। जन्म 1 जनवरी 1952 को छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के सीमान्त जिले अनूपपुर के छोटे-से गाँव सीतापुर में। प्राथमिक,

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