मुस्लिम आतंकवाद बनाम अमेरिका - 'मुस्लिम आतंकवाद' एक अप्रिय शब्दावली है, लेकिन पिछले समय से जो तथ्य उभर कर आ रहे हैं, वे इसकी पुष्टि ही करते हैं। विद्वानों का कहना है कि इस्लाम में आतंकवाद के लिए कोई स्थान नहीं है, लेकिन दुर्भाग्यवश मुस्लिम बहुल देशों की सत्ता आतंक पर ही टिकी हुई है और इस्लाम का प्रचार करनेवाले अनेक संगठन आतंकवाद के माध्यम से ही अपने राजनीतिक उद्देश्यों को पूरा करना चाहते हैं। कश्मीरी समस्या के कारण भारत धर्म आधारित आतंकवाद का लम्बे समय से शिकार रहा है। लेकिन यह समस्या अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा और बहस का विषय तब बनी जब 11 सितम्बर को न्यूयॉर्क और वाशिंगटन में आतंकवादी प्रहार हुए और वर्ल्ड ट्रेड सेंटर ध्वस्त हो गया। अमेरिका का अफ़ग़ान युद्ध इसी का एक क्रूर नतीजा था। लेकिन दुनिया भर में आतंकवाद का ज़हर फैलाने में स्वयं अमेरिका की क्या भूमिका रही है? यह प्रश्न अफ़ग़ानिस्तान के सन्दर्भ में भी उठता है, जो कई दशकों से अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति की शतरंज बना हुआ है। जिन तालिबान शासकों ने कुछ ही वर्षों में इस ख़ूबसूरत देश को हर तरह से तबाह कर डाला, वे अमेरिकी विदेश नीति की ही देन हैं। ओसामा बिन लादेन जैसे व्यक्तित्व के जन्म का रहस्य भी पश्चिमी शक्तियों की विश्व राजनीतिक में छिपा हुआ है। लेकिन सवाल यह है कि क्या आतंकवाद से इस्लामी जगत की किसी समस्या का समाधान हो सकता है? क्या यह इस्लाम की मूलतः प्रगतिशील संस्कृति का भटकाव नहीं है? यह भटकाव कैसे आया? मुस्लिम आतंकवाद का अन्तर्राष्ट्रीय तन्त्र कैसे काम करता है? आतंकवाद का अर्थशास्त्र क्या है? अफ़ग़ान युद्ध के पीछे और कौन-से कारण थे? अफ़ग़ानिस्तान की इस ट्रेजेडी के ऐतिहासिक स्रोत क्या हैं? तथ्यों और आँकड़ों के आधार पर पूरी स्थिति का समग्र विश्लेषण-हिन्दी में पहली बार। |
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