Pani Ke Prachir

Paperback
Hindi
9789350726044
2nd
2014
228
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पानी के प्राचीर -
हिन्दी के आंचलिक उपन्यासों में 'पानी के प्राचीर' डॉ. रामदरश मिश्र का बहुचर्चित उपन्यास है, जिसे काफ़ी सम्मान मिला है। यह उपन्यास स्वतन्त्रता प्राप्ति तक के भारतीय गाँव की प्रामाणिक गाथा प्रस्तुत करता है। मिश्र जी गाँव के जीवन के किसी एक पक्ष का इकहरा विधान करने के स्थान पर उसके संश्लिष्ट यथार्थ को बहुत गहराई तथा कलात्मक कौशल से चित्रित करते हैं। प्रस्तुत उपन्यास में भी गाँव के राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक यथार्थ की संश्लिष्ट गाथा प्रस्तुत की गयी है। यथार्थ की परतें परतों में धँसी हुई हैं। लेखक ने अपनी ज़मीन की सारी प्राकृतिक और सामाजिक शक्ति की भरपूर पहचान तथा उपयोग किया है। मेलों, पर्वों, लोकगीतों, नदियों, खेतों आदि का विधान मात्र नहीं किया है, उनसे सम्वेदना की परतों तथा कथा-सूत्रों की सृष्टि भी की है। इस उपन्यास में गाँव की ज़िन्दगी की कथा तो है ही, उसमें एक गीतात्मक लय भी है जो उपन्यास को जगह-जगह काव्यात्मक सांकेतिकता तथा नाटकीय वक्रता प्रदान करती है।
प्रस्तुत है उपन्यास का नया संस्करण।

रामदरश मिश्र (Ramdarash Mishra)

जन्म : 15 अगस्त, 1924 को गोरखपुर ज़िले के डुमरी गाँव में। काव्य : पथ के गीत, बैरंग-बेनाम चिट्ठियाँ, पक गई है धूप, कन्धे पर सूरज, दिन एक नदी बन गया, मेरे प्रिय गीत, बाज़ार को निकले हैं लोग, जुलूस कहाँ जा रहा ह

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