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Bharatiya Itihas Mein Madhyakaal

Irfan Habib Author
Hardbound
Hindi
9355181906
9789355181909
1st
2022
334
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ब्रिटिश इतिहासकारों की साम्राज्यवादी धारा द्वारा प्रस्तुत मध्यकालीन भारतीय इतिहास की व्याख्या ने अपरिहार्य रूप से हिन्दू और मुसलिम साम्प्रदायिक मतवादों को जन्म दिया। दोनों ही मतवाद ब्रिटिश इतिहासकारों के विरुद्ध क्षमायाचकों के रूप में उभरकर सामने आये किन्तु ऐसे क्षमायाचक जिन्होंने ब्रिटिश मत की बुनियादी अवधारणाओं को स्वीकार किया। उनका तर्क केवल यह रहा कि जो भी गलत कार्य किये गये, उनकी ज़िम्मेदारी उनके समुदाय की नहीं थी। उन्होंने सारा दोष दूसरे समुदाय के मत्थे मढ़ दिया। अब दोनों ही मत पूर्ण परिपक्वावस्था को प्राप्त कर चुके हैं और उनका अब एक ऐसा स्थिर ढाँचा बन चुका है जिसके निर्माण में अनेक विद्वानों ने अपना योगदान दिया है। यह तो नहीं कहा जा सकता कि धार्मिक संवेगों तथा दोनों समुदायों के बीच के सम्बन्धों के स्वरूप से सम्बद्ध सभी महत्त्वपूर्ण प्रश्नों के सन्दर्भ में अन्तिम शब्द कहा जा चुका है। अभी भी जो रिक्त स्थान छूट गये हैं : वर्गचेतना का स्तर, धार्मिक तथा धर्मवैज्ञानिक विचारों के विकास जैसी बातों की सावधानीपूर्वक जाँच की जानी चाहिए। रिक्त स्थानों और त्रुटियों के बावजूद, गम्भीर इतिहासकारों के विशाल समुदाय के सम्मिलित प्रयास द्वारा काफ़ी कुछ प्रकाश में ला दिया गया है जिसके आधार पर साम्प्रदायिक मतों के उस दावे को खारिज़ किया जा सकता है जो यह मानता है कि मध्य युग के विषय में जो कुछ सच है, वह उन्हीं के पास है। मैंने उन थोड़े से इतिहासकारों के कार्य को आपके सम्मुख प्रस्तुत किया है जो साम्प्रदायिक दृष्टि के लांछन से दूर रहे हैं, क्योंकि मैं समझता हूँ कि कोई भी व्यक्ति जो लिखित प्रमाण और तर्कसंगत विश्लेषण के प्रति किंचित भी सम्मान रखता है, मध्यकालीन विकास प्रक्रिया के सम्बन्ध में, 'हिन्दुत्व', 'मिल्लत' अथवा 'खालसा' का पक्ष प्रस्तुत करने वाले उन प्रवक्ताओं की तुलना में उन्हें अधिक सही पायेगा जो अपने मौजूदा नारों को अतीत की अपनी काल्पनिक संरचना में प्रक्षेपित करते हैं। आज आज़ादी की आधी सदी बाद भी ऐसा लगता है विचारों के युद्ध में 'बुद्धिवाद' की विजय नहीं हो सकी है जैसी कि आशा थी।

रमेश रावत (Ramesh Rawat )

रमेश रावत (अनुवादक) (1957), प्रारम्भिक शिक्षा ग्रामीण परिवेश में, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, अलीगढ़ से प्रथम श्रेणी में एम.ए. तथा राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर से पीएच.डी.। प्रकाशित रचनाएँ : मु

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इरफ़ान हबीब (Irfan Habib)

इरफ़ान हबीब (1931) भारत के अन्तरराष्ट्रीय स्तर के इतिहासकार हैं। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से इतिहास में एम. ए. करने के बाद ऑक्सफ़ोर्ड विश्वविद्यालय (इंग्लैंड) से उन्होंने डी. लिट. की उपाधि ली

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