विभाजन की त्रासदी : भारतीय कथादृष्टि - 'विभाजन की त्रासदी : भारतीय कथादृष्टि' अपने विषय की सर्वथा अनूठी पुस्तक है। निस्सन्देह विभाजन भारतीय इतिहास की एक बहुत बड़ी त्रासदी है। समाज, इतिहास, राजनीति, संस्कृति, साहित्य और लोक जीवन का इतना कुछ इसमें बिंधा हुआ है कि यह एक जटिल गुत्थी या पहेली-सी लगती है, जिसे समझना या सुलझाना आसान नहीं है। नरेन्द्र मोहन एक ऐसे लेखक हैं जिनकी बचपन की यादें इस हादसे से जुड़ी हुई ही नहीं हैं, इसके इतिहास के साथ गुँथी हुई भी हैं। इसीलिए वे विभाजन की त्रासदी : भारतीय कथादृष्टि' में इतिहास और स्मृति के अन्तःसम्बन्धों का अध्ययन करते हुए विभाजन के लगभग सभी पक्षों की पड़ताल कर सके हैं। विभाजन को लेकर जो बहसें हुई हैं और जो अन्तर्विरोध सामने आये हैं, उन पर नज़र रखना ज़रूरी है, तो भी वहीं तक ठहरे ठिठके रहने के बजाय विभाजन सम्बन्धी भारतीय कथादृष्टि को टटोलना और समझना बेहतर विकल्प हो सकता है। 'विभाजन की त्रासदी : भारतीय कथादृष्टि' भारतीय कहानी के भीतर से विभाजन की प्रक्रियाओं को समझने की कोशिश है। इन कहानियों की ऊपरी परतों तक कई कोमल और क्रूर सन्दर्भ लिपटे हुए हैं, साथ ही दहला देने वाले सन्नाटे और हाहाकार की तस्वीरें भी दर्ज हैं। एक पूरी सभ्यता और संस्कृति यहाँ साँस ले रही है। स्वाधीनता, विभाजन, इतिहास, संस्कृति और साहित्य के प्रश्न यहाँ एक दूसरे के साथ इस तरह सटे हुए हैं कि एक संश्लिष्ट इकाई उभरती दिखती है। इस दृष्टि से देखने पर इतिहास और साहित्य के दायरे की यह पुस्तक, नये मुद्दे और सवाल ही नहीं उठाती है, विभाजन से जुड़ी भारतीय कहानियों का गहराई, अन्तरंगता और ईमानदारी के साथ विश्लेषण करती हुई, उन कहानियों के पाठ पुनःपाठ की सम्भावनाएँ भी जगाती है।
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