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Chuppi Ka Shor

Sanjay Kundan Author
Paperback
Hindi
8126310130
1st
2004
96
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₹40.00

चुप्पी का शोर - 'चुप्पी का शोर' संजय कुन्दन कृत एक कविता संग्रह है। संग्रह में शामिल कविताएँ अपने तेवर में नुकीली हैं और उनमें जो श्लेष विद्यमान है उससे हम उनकी कविताओं में व्याप्त विट और विदग्धता की संयमित उपस्थिति देख सकते हैं। उनकी कविताओं को पढ़ते हुए लगता है कि संजय कुन्दन का कवि मन संसार की आपाधापी और उसकी तल्ख़ हक़ीक़त से दूर जाना चाहता है। वह जानता है कि इन विडम्बनाओं का मायाजाल समूचे तन्त्र में व्याधियों की तरह फूला-फला है। योजनाएँ बनाने में हुनरमन्द लोग योजनाएँ बनाते रहे लेकिन वे हक़ीक़त से हमेशा दूर ही रहे। संजय कुन्दन ने अपने समय को एक आम आदमी के रूप में, एक द्रष्टा और साक्षी के रूप में देखा है। यह एक साधारण इन्सान की निशानियाँ हैं और सोचा जाये तो आख़िर आम आदमी है क्या? इसका कविता के अस्तित्व से क्या रिश्ता है? शायद किसी भव्य जीवनचर्या पर उतनी अच्छी कविता नहीं लिखी जा सकती, जितना उसकी कुरूपताओं, अभावों और पीड़ाओं पर। संजय कुन्दन की कविताएँ इन्हीं सब ख़ूबियों के साथ पाठकों के समक्ष अपनी परतें खोलती हैं।

संजय कुंदन (Sanjay Kundan)

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