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Katha Ka Prishth

Hardbound
Hindi
9789390659869
1st
2022
120
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₹240.00

कथा का पृष्ठ - वीरेन्द्र सारंग जी की अपनी कविता-भूमि है, जहाँ कड़वाहट में समय को प्रमाणित करती कविताएँ आम आदमी के बहुत निकट प्रतीत होती हैं। वे गहरे कवि हैं, जहाँ विश्वास तो बनता ही है, जीने के सच का सामना भी होता रहता है। कविता सन्नाटे को तोड़ती हुई एक धीमी गूँज से गुज़रती है, तब एक भावनात्मक भावभूमि तैयार होती है, जहाँ से देखना बहुत सहज हो जाता है। विलुप्त होते उपकरण को सहेजना कविता के गद्य को जीवित कर देने जैसा है। अपनी कविताओं में सारंग जी सूक्ष्म संवेदना की गहराई तक जाते हैं। आज की व्यवस्था पर मीठे स्वर में बात करती कविताओं की अलग पहचान स्पष्ट रूप से दृष्टिगत है। संवाद की तरह बात करती कविताएँ लोक-जीवन के बहुत क़रीब दिखती हैं, वैसे तो सभी कविताएँ बहुत सारे सवालों की परतें बड़ी सहजता से खोलती हैं। लेकिन सोलह संस्कार पर लिखी कविता 'यह कविता का गद्य, संस्कार के लिए है' बहुत आकर्षित करती है, शायद ऐसी कविता का लिखना पहली बार हुआ है। वीरेन्द्र सारंग ज़रूरी कवि हैं, और यह संग्रह 'कथा का पृष्ठ' ज़रूर पढ़ा जाना चाहिए। इस महत्त्वपूर्ण गद्य कविता का प्रकाशन कर भारतीय ज्ञानपीठ हर्ष का अनुभव कर रहा है।

वीरेन्द्र सारंग (Virendra Sarang )

वीरेन्द्र सारंग जन्म : 12 जनवरी 1959, उत्तर प्रदेश के जमानियाँ (हरपुर) गाज़ीपुर में। वीरेन्द्र सारंग हिन्दी के जाने-माने कवि-कथाकार हैं। उन्होंने घुमक्कड़ी और स्वतन्त्र लेखन के साथ-साथ सामाजिक का

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