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Sannate Mein Door Tak

Hardbound
Hindi
NA
2nd
2016
138
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₹150.00

सन्नाटे में दूर तक - मेरी कविताओं में दुनिया बहुत कम है। यदि है तो किसी 'निहितार्थ' के अन्दर, या किसी प्रतिभास के रूप में। पर इसका कारण न तो अनजानापन है न निरासक्ति का भाव, न संवेदनशीलता की कमी—बल्कि एक प्रतीक्षा है—मेरे और इस दुनिया के बीच किसी सच्चे प्रयोजन की प्रतीक्षा। एक कारण और भी है—वह है मेरे अन्दर 'भाव' या 'अभाव' के रूप में किसी और की ‘उपस्थिति' का निरन्तर बने रहना, जो मेरी चेतना में एक ऐसी विद्यमानता को रचती है कि मेरा सारा जुड़ाव वहीं केन्द्रित हो जाता है। ‘कविता का कोई अलग सत्य नहीं होता—मेरा सत्य ही कविता का सत्य है, और वह सदा ही अन्वेषणीय है—नित्य नवीन रूप से'। 'इतने छोटे से प्रकाश में मुझे लिखनी है अँधेरे में रखी वह इतनी बड़ी कविता' ये शब्द हैं अमृता भारती के अपने, जो व्यक्त करते हैं प्रस्तुत संग्रह की कविताओं के रचना प्रयोजन को और उनके स्वरूप और सन्दर्भ को। अमृता भारती की रचना 'मैं तट पर हूँ' बाद, सहृदय पाठकों को समर्पित है उनकी यह नवीनतम कृति 'सन्नाटे में दूर तक'।

अमृता भारती (Amrita Bharti )

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