समय का शेष नाम - समकालीन भारत के दक्षतम कवियों में सीताकान्त महापात्र एक उल्लेखनीय नाम है। उन्होंने पारम्परिक काव्य-शैली और पाश्चात्य प्रभावित शैली में से नयी सम्भावनाओं का सन्धान किया है, नयी काव्य चेतना और नये आभिमुख्य पर ज़ोर दिया है। अतीत और भविष्य को एकत्र कर एक विकल्प यथार्थ का निर्माण कविता के ज़रिये सम्भव है, इसमें उन्हें पूरा विश्वास है। वे दुःख और वेदना में भी मानव स्थिति के गहनतम आनन्द की तलाश में हैं, यही कारण है कि वे अपने समय में इलियट और पाउण्ड, रैम्बो और बोदलेयर की तरह अपनी संस्कृति के मिथक तथा आर्किटाइप और पारम्परिक प्रतीकों का व्यवहार करते रहे हैं।
Log In To Add/edit Rating
You Have To Buy The Product To Give A Review