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Pichhli Raat Ki Dhoop

Hardbound
Hindi
NA
1st
1991
220
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₹75.00

पिछली रात की धूप - समरेश बसु की चर्चित कहानियों की संख्या वैसे भी बहुत अधिक है। प्रस्तुत संकलन 'पिछली रात की धूप' में सभी कहानियाँ अपने बहुविध कथा-कथन और न्यास के बावजूद एक समर्पित रचनाकार एवं श्रेष्ठ कथाकार के ईमानदार सरोकार को रेखांकित करती हैं। ऐसी कहानियों को किसी संख्या या संकलन द्वारा सीमित नहीं किया जा सकता। बांग्ला में उनकी कहानियों के ढेरों संकलन प्रकाशित हैं, जिनमें उनकी कई कहानियाँ अपनी श्रेष्ठता के नाते बार-बार संकलित की गयी हैं तथा विभिन्न दृश्य एवं अभिनेय माध्यमों में रूपान्तरित भी हुई हैं। दुर्भाग्य से हिन्दी में ऐसा एक भी संकलन नहीं है। इस दृष्टि से प्रस्तुत संकलन एक बहुत बड़ी कमी को दूर कर पायेगा, इसमें सन्देह नहीं। प्रस्तुत संकलन की ये कहानियाँ अपने कथ्य और रोमांचक प्रवाह में पाठकों को बहा ले जाने में सक्षम हैं और सम्भव है इन्हें पढ़ते हुए पाठक को इस बात का ध्यान न रहे कि वे किसी भाषा-विशेष की कहानियाँ पढ़ रहे हैं बल्कि भारतीय साहित्य की श्रेष्ठ धरोहर और उपलब्धि से साक्षात्कार कर रहे हैं। बांग्ला की कई श्रेष्ठ कृतियों के सफल अनुवादक डॉ. रणजीत साहा ने इन कहानियों का चयन और सुन्दर अनुवाद प्रस्तुत कर कृतिकार की बात पाठक तक पहुँचाने में सन्धाता की भूमिका कुशलतापूर्वक निभायी है। भारतीय ज्ञानपीठ इसके प्रकाशन से गौरवान्वित हुआ है।

समरेस बसु कालकूट (Samres Basu Kalkoot )

समरेश बसु 'कालकूट' - ढाका (आधनिक बांग्ला देश) में जन्मे समरेश (बचपन का नाम सुरतनाथ) बसु के तेवर शुरू से ही चुनौती भरे रहे हैं। और शायद इसी कारण वह नाम जो उन्होंने स्वयं को स्वयं दिया- 'कालकूट', बांग

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