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Parkay Pravesh Tatha Anya Kahaniyan

Hardbound
Hindi
9788126315215
5th
2008
200
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₹160.00

परकाय प्रवेश तथा अन्य कहानियाँ - मास्ति वेंकटेश अय्यंगार जीवन की पारदर्शी स्वच्छता के प्रति पूर्णतः संवेदनशील रहे हैं। मास्ति जी की अन्तर्दृष्टि मूलतः नैतिक है। उनके मंच का महत्त्वपूर्ण स्थान यशोधरा में बुद्ध, चेन्नबसवनायक में नेमय्या, भट्टारामगलू में भट्टारू और बेंकटिगण हेंडल्ली में अशिक्षित लकड़हारे के लिए सुरक्षित है। उनके गौण पात्रों तक में जीवन की कान्ति और प्रसन्नता झलकती है जो सामान्यतः समाज की पतनोन्मुख्ता के मध्य भी मानव जीवन के मूल्य की साग्रह पुष्टि करती है। चेन्नबसवनायक की नौकरानी मल्लिगे इस प्रकार के चरित्र चित्रण का श्रेष्ठ उदाहरण है। उनके लिए साहित्य का प्रयोजन समष्टि एवं व्यष्टि के लिए मंगलकारी होना है। मास्ति जी आधुनिक कन्नड़ कहानी के जनक के रूप में प्रख्यात रहे। उन्होंने अपनी प्रारम्भिक कहानियाँ 1910-11 में लिखीं। उनके 15 कहानी-संग्रह प्रकाशित हैं। "वह एक वातावरण एवं एक जीवन-शैली की पुनर्रचना करते हैं और उनमें जीने का सहज उल्लास महक उठता है।" उनकी इस आधारभूत धारणा की वैधता कालातीत है कि सत्साहित्य से व्यक्ति को परिपक्वता और समाज को मंगल प्राप्त होना चाहिए; और उनकी रचनाओं का यही सन्देश भी है।

मस्ती वेंकटेश अय्यंगर अनुवाद बी. आर. नारायण (Masti Venkatesh ayyangar Translated by B.R. Narayan )

मास्ति वेंकटेश अय्यंगार - कन्नड़ के यशस्वी लेखक मास्ति वेंकटेश अय्यंगार का जन्म 6 जून, 1891 को कर्नाटक के सीमावर्ती ज़िले कोलार के मास्ति गाँव में एक साधनहीन किन्तु सुसंस्कृत अय्यंगार परिवार म

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