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Meri Vani Gairik Vasna

Hardbound
Hindi
8126301198
1st
1999
176
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₹120.00

मेरी वाणी गैरिक वसना - नयी हिन्दी कविता के प्रख्यात कवि धर्मवीर भारती का काव्य-संसार बहुत व्यापक और अद्वितीय है। 'मेरी वाणी गैरिक वसना' में उनकी कविता अपने पूरे वैभव के साथ उपस्थित है। दूसरे शब्दों में, इस संग्रह में भारती जी की काव्य-यात्रा का सर्वश्रेष्ठ संकलित है। दरअसल धर्मवीर भारती की कविताएँ प्रभाव और प्रासंगिकता के स्तर पर काल की सीमा में कभी नहीं बँध पायीं। भारती मूलतः एक शाश्वत सांस्कृतिक चेतना के कवि हैं। शायद इसीलिए उनकी कविताओं में सांस्कृतिक अन्तर्दृष्टि मूल्य-बोध का पर्याय बनकर मुखर है। कहना न होगा कि भारती उस भारतीय चिन्तन-परम्परा के कवि हैं जिसका सत्य, मूल्य और अध्यात्म से गहरा सरोकार है। काव्य-चेतना और अभिव्यक्ति के स्तर पर उनकी कविताएँ परम्परा और आधुनिकता को सांस्कृतिक सार्थकता में रूपान्तरित करती हैं...... प्रस्तुत है धर्मवीर भारती का अप्रतिम कविता-संग्रह 'मेरी वाणी गैरिक वसना'।

धर्मवीर भारती (Dharmveer Bharti)

धर्मवीर भारती जन्मः इलाहाबाद में 25 दिसम्बर, 1926 को। बचपन में पिता की मृत्यु हो जाने से किशोरावस्था से ही गहरा आर्थिक संघर्ष। 1945 में प्रयाग विश्वविद्यालय में हिन्दी में सर्वाधिक अंक प्राप्त कर

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