खारे मोती - सामाजिक सरोकारों से जुड़ी एक गम्भीर लेखिका, जिसने लोकप्रियता प्राप्त करने के लिए साहित्यिक सृजनात्मकता से कभी किसी तरह का समझौता नहीं किया, राजम कृष्णन का एक सशक्त उपन्यास है करिप्पु मणिगल। यह तुत्तुकुडी के नमक बनाने वाले मज़दूरों के जीवन पर आधारित एक मार्मिक कथा है। इस जीवन के यथार्थ को पाठकों तक पहुँचाने के लिए लेखिका स्वयं उन मज़दूरों के बीच रही, उनसे मैत्री सम्बन्ध स्थापित किये और उनके प्रति एक लगाव बनाया। साहित्यिक सृजनात्मकता अन्तर्मन को किस प्रकार भिगो सकती है उसका यह उपन्यास अत्यन्त सुन्दर उदाहरण है। इसका हिन्दी रूपान्तर 'खारे मोती' भारतीय ज्ञानपीठ हिन्दी पाठकों को समर्पित कर रहा है।
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