जूझ - जूझ मराठी के प्रख्यात कथाकार डॉ. आनन्द यादव का बहुचर्चित एवं बहुप्रशंसित आत्मकथात्मक उपन्यास है। साहित्य अकादेमी पुरस्कार (1990) से सम्मानित इस उपन्यास को मराठी के साहित्यकारों, समीक्षकों और सुधी पाठकों की भरपूर सराहना मिली है। दरअसल, आत्मकथात्मक उपन्यास की विधा को सार्थक आयाम देते हुए आनन्द यादव ने अपने इस आंचलिक उपन्यास में मानवीय मूल्यों को गहरी कथात्मक संवेदना के साथ नयी कलात्मक अभिव्यक्ति दी है। जूझ एक किशोर के देखे और भोगे हुए गँवई जीवन के खुरदरे यथार्थ और उसके रंगारंग परिवेश की अत्यन्त विश्वसनीय जीवन्त गाथा है। इस आत्मकथात्मक उपन्यास में विकट जीवन का मर्मस्पर्शी चित्रण तो है ही, इसमें अस्त-व्यस्त—लेकिन अलमस्त निम्नमध्यवर्गीय ग्रामीण समाज और लड़ते-जूझते किसान-मज़दूरों के हाहाकारी संघर्ष की भी अनूठी झाँकी है। अपने कथानक, भाषा और शैली-शिल्प तथा एक मूल्यवान जीवनानुभव के लिए विख्यात यह उपन्यास हिन्दी के पाठकों को भी अभिभूत करेगा, यह विश्वास है।
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