हँसें तो फूल झड़ें - शेरो शाइरी के विशेषज्ञ और इस विधा के मर्मज्ञ सम्पादक अयोध्याप्रसाद गोयलीय को दीर्घकाल के अपने सम्पादन कार्य के दौरान शायरों, अदीबों के परिहास और हाज़िरजवाबी के जो प्रसंग मनोरंजक और रेखांकित करने योग्य लगे, उन्हें इस पुस्तक में उन्होंने संकलित किया है। इसके ज़रिये तत्कालीन समाज की मानसिकता का भी जैसे एक चित्र उपस्थित हो जाता है। उर्दू का साहित्यिक परिवेश शुरू से हास-परिहास से भरपूर रहा है। व्यंग्य और हाज़िरजवाबी के जो नमूने साहित्य में मिलते हैं वे अन्यत्र दुर्लभ हैं। शेरो-शाइरी की मजलिसों, महफ़िलों और दरबारी संस्कृति ने इस कला को निरन्तर समृद्ध किया है। गोयलीय जी ने इस संकलन में उर्दू के प्रख्यात शायरों—सौदा, ज़ौक, ग़ालिब, जोश मलीहाबादी से लेकर उस दौर के तमाम शायरों और अदीबों के व्यंग्य विनोद-प्रसंग एकत्र किये हैं। इसके अलावा इसमें ऐसे विविध प्रसंग भी समाहित हैं जिन्हें पढ़ते हुए कोई भी हँसे बिना नहीं रह सकता। एक रोचक, मनोरंजक कृति—भारतीय ज्ञानपीठ की अनुपम भेंट।
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