गुलमोहर के गुच्छे - मंजुल भगत के कहानी संग्रह में कुल 11 कथाएँ अपने रूप-रंग और भाषाई अदब में अलग ही दिखाई देती हैं। खोज, रसप्रिया, नालायक बहू, एक झुका हुआ आदमी, नागपाश और दूसरा प्यार आदि कहानियाँ मनुष्य जीवन के प्रत्येक पक्ष को जिज्ञासा, कोमलता और प्रेम की भावना के साथ प्रस्तुत करती हैं। उनकी इन सभी कहानियों की भाषा में पात्रानुकूल और क्षेत्रानुकूल संवाद पाये जाते हैं। हिन्दी, उर्दू, अंग्रेज़ी के अलावा वे राजस्थान तथा दिल्ली आदि क्षेत्र के लोगों द्वारा बोली जाने वाली भाषा का भी प्रयोग इन्होंने अपनी कहानियों में संवाद के रूप में प्रयोग किया है जिसके कारण उनकी कहानियों में लोकजीवन की सजीवता भी आ जाती है।
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