डरी हुई लड़की - यह उपन्यास दुष्कर्म से पीड़ित एक युवती की 'साइकी', अवसाद, ख़लिश, क्षोभ, भय, एकान्त और असुरक्षा की भावना से घिरी हुई है। ज्ञानप्रकाश विवेक ने इस उपन्यास के माध्यम से समाज के सामने एक ऐसे पक्ष को उद्घाटित किया है, जो सामान्यतः समाज में कम ही नज़र आता है। ज्ञानप्रकाश विवेक चुपचाप रह कर रचना करते रहनेवाले संजीदा लेखक हैं। इस उपन्यास के मुख्य पात्रों—राजन और नन्दिनी के माध्यम से एक ऐसे लोक का निर्माण करते हैं, जहाँ ख़ामोशी है, सहानुभूति है, प्रेम है। प्रेम के स्वीकार्यता की चाहत है... पर प्रेम को व्यक्त करने का साहस... शायद नहीं है? उपन्यासकार ने मानवीयता के तमाम तहों को खोलने का प्रयास किया है। जहाँ व्यक्त न होते हुए भी एक प्रेम विद्यमान है। और अपनी परकाष्ठा को पाने को आतुर है। बलात्कार जैसी घटना से जुझ रही नायिका के जीवन जीने की जिजीविषा और नायक की सकारात्मक सोच इस उपन्यास को विशिष्ट बनाता है।
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