Gyanprakash Vivek

ज्ञानप्रकाश विवेक

जन्म : 30 जनवरी 1949 (बहादुरगढ़)

तैंतीस वर्ष तक एक साधारण बीमा कम्पनी में नौकरी और सेवानिवृत्ति के बाद पूर्णकालिक लेखन ।
प्रकाशित पुस्तकें उपन्यास गली नम्बर तेरह दिल्ली दरवाज़ा, अस्तित्व, आखेट, चाय का दूसरा कप, तलघर, डरी हुई लड़की, नयी दिल्ली एक्सप्रेस तथा विस्थापित | कहानी संग्रह : अलग-अलग दिशाएँ, जोसफ चला गया,शहर गवाह है, पिताजी चुप रहते हैं, इक्कीस कहानियाँ, शिकारगाह,सेवानगर कहाँ है, मुसाफिरखाना, बदली हुई दुनिया, कालखण्ड तथा मेरी पसन्दीदा कहानियाँ गजल संग्रह धूप के हस्ताक्षर, आँखों में आसमान इस मुश्किल वक्त में, गुफ्तगू अवाम से है, घाट हज़ारों इस दरिया के दरवाजे पर दस्तक तथा कागज़ी छतरियाँ बनाता हूँ। कविता संग्रह दरार से झाँकती रोशनी आलोचना हिन्दी जल की विकास यात्रा, हिन्दी ग़ज़ल दुष्यन्त के बाद, हिन्दी ग़ज़ल की नयी चेतना उर्दू शायरी रिवायत से जदीदियत का सफ़र।फेलोशिप: वर्ष 2014-2015 में संस्कृति मन्त्रालय द्वारा हिन्दी गजल पर सीनियर फेलोशिप ।
फ़िल्म तथा लघु फ़िल्में : 'कैद' कहानी पर जनमंच द्वारा फिल्म का निर्माण। शिमला दूरदर्शन द्वारा 'मोड' तथा 'बेदखल' कहानियों पर लघु फ़िल्मों का निर्माण । क्लासिक कहानियों की श्रृंखला में, वाराणसी दूरदर्शन केन्द्र द्वारा शिकारगाह' कहानी का फिल्मांकन 'छोटी सी दुनिया', 'वृद्ध', 'पापा तुम कहाँ हो', 'क्षमा करना माँ' का नाट्य मंचन ।

हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा वर्ष 2021 में आजीवन साहित्य साधना सम्मान ।

इन्दु शर्मा अन्तरराष्ट्रीय कथा सम्मान (यूके) डरी हुई लड़की को वर्ष 2021 में सेवानगर कहाँ है कहानी को राजस्थान पत्रिका द्वारा वर्ष 2000 में सर्वश्रेष्ठ कथा सम्मान।

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