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Dar

Hardbound
Hindi
9788126316557
2nd
2011
159
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₹150.00

डर - समकालीन युवा कथाकारों में विमल चन्द्र पाण्डेय का नाम महत्वपूर्ण है। 'डर' विमल चन्द्र पाण्डेय की कहानियों का पहला संग्रह है। इस संग्रह की कहानियों में विन्यस्त समय और समाज हमारे मौजूदा यथार्थ का मात्र प्रतिबिम्ब नहीं है, बल्कि इक्कीसवी सदी के उस दारुण और नृशंस वर्तमान का दस्तावेज़ भी है जिसका छद्म महिमामण्डन राजनैतिक, साम्प्रदायिक, आर्थिक और सामाजिक कूटनीतिज्ञों द्वारा अक्सर उपस्थित किया जाता है। ऐसे अनेक स्थलों और स्थितियों पर कथाकार की पारदर्शी नज़र स्पष्टतः केन्द्रित है। इसलिए विमल चन्द्र पाण्डेय 'डर' और उसके कारण को भी पहचान पाते हैं और 'वह जो नहीं' के अवान्तर उस रिक्ति को भी, जिसे संक्रमणकाल ने सरस सम्बन्धों के दरम्यान पैबस्त कर दिया है। यह समय मूल्यों के क्षरण, कैरियरिस्टिक एप्रोच, हिंसा की हद तक साम्प्रदायिकता का प्रपंच करते तथाकथित धर्मध्वजवाहकों और 'जैक जैक जैक' से ग्रस्त है। ऐसे माहौल में युवा स्वप्नों, आकांक्षाओं और संस्मृतियों की उत्तरजीविता अपना रास्ता खोजती है। कथाकार अपने स्वप्नों और मूल्यों की संरक्षा हेतु अपनी लोकधर्मी जिजीविषा और नवान्न की ऊष्मा से आवश्यक विद्रोही ऊर्जा प्राप्त करता है। यही हस्तक्षेप कथाकार विमल चन्द्र पाण्डेय की बेधड़क देशज संवेदना को प्रतिपक्ष निर्धारित करने में सहायता करता है। समकालीन युवा रचनाशीलता की तेजस्विता इन्हीं सूत्रों से रेखांकित की जानी चाहिए। भारतीय ज्ञानपीठ के 'नवलेखन पुरस्कार' से सम्मानित यह कहानी-संग्रह अपनी कई विशेषताओं के कारण उल्लेखनीय है।

विमल चन्द्र पाण्डेय (Vimal Chandra Pandey)

विमल चन्द्र पाण्डेय - जन्म: 20 अक्तूबर, 1981, वाराणसी, उ.प्र.। मूल रूप से बलिया ज़िले के कड़सर गाँव के निवासी। शिक्षा: बी.एससी. (गणित), पत्रकारिता में स्नातकोत्तर डिप्लोमा, एम.ए. (हिन्दी)। प्रकाशन: विभिन

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