भारतीय सौन्दर्य सिद्धान्त की नयी परिभाषा - 'भारतीय सौन्दर्य सिद्धान्त की नयी परिभाषा' सुरेन्द्र एस बारलिंगे की मौलिक चिन्तनपरक कृति है जिसमें एक ओर उनका सौन्दर्य-शास्त्रीय विश्लेषण आधुनिकता के समवाय में अधिक प्रासंगिक और अद्यतन हो उठा है और दूसरी ओर भारतीय साहित्यशास्त्र की कुछ अवधारणाएँ नये रूप में पाठकों के समक्ष हैं। पुस्तक में भरत-मुनि से लेकर पण्डितराज जगन्नाथ तक के विकास क्रम में रस की अवधारणाओं का गहन व मौलिक विवेचन है। भारतीय सौन्दर्य सिद्धान्त का वस्तुनिष्ठ स्वरूप प्रस्तुत करते समय निश्चय ही उन्होंने अपनी भारतीय एवं पाश्चात्य तुलनात्मक दृष्टि का परिचय दिया है और भारतीय सौन्दर्यशास्त्र का अधिक मूलगामी चिन्तन प्रस्तुत किया है।
Log In To Add/edit Rating
You Have To Buy The Product To Give A Review