बेनीमाधो तिवारी की पतोह - मधुकर सिंह हिन्दी के वरिष्ठ लेखक हैं। उनकी कथा-रचनाओं में बिहार एक सामान्य पृष्ठभूमि की तरह होता है और समस्याएँ वही होती हैं जो लगभग पूरे भारतीय समाज में व्याप्त हैं। मधुकर सिंह ने सामान्य जन के संघर्ष में भारतीय समाज के परिवर्तनों को लक्षित किया है यह बड़ी बात है। 'बेनीमाधो तिवारी की पतोह' उपन्यासिका एक स्त्री के आत्मजागरण और उसके द्वारा गाँव के परिवेश को बदलने के उत्कट प्रयासों की कहानी है। 'बेनीमाधो तिवारी की पतोह' उपन्यासिका के केन्द्र में एक रूढ़िवादी परिवार है। इस परिवार की पतोह, जो कि युवा विधवा है, कुछ परिवर्तनकामी शक्तियों से जुड़कर सामन्ती ताक़तों का सामना करती है। एक तरह से वह भविष्य का नेतृत्व करती है। वरिष्ठ कथाकार मधुकर सिंह ने अपनी परिचित शैली में इस उपन्यासिका को 'स्त्री अस्मिता विमर्श' का दर्पण बना दिया है।
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