अनाज पकने का समय - 'अनाज पकने का समय' युवा कवि नीलोत्पल का पहला कविता संग्रह है। सहज जीवन-विवेक और मूल्य-बोध से भरी हुई नीलोत्पल की कविता में खुलने और उगने की एक स्वाभाविक चाह हमेशा देखी जा सकती है। कवि की इमेजरी भी एक खुलती हुई-सी इमेजरी है दूर की कौड़ी न सही लेकिन उसमें बन्द या कुन्द होता कुछ नहीं है। उसमें कविता के लिए आवश्यक धैर्य और दत्तचित्तता है। नीलोत्पल की कविता न मिथकों और आख्यानों में गहरे भीतर तक जाती है, न उसमें अभिशप्त आधुनिकता की किरचें और ख़राशें हैं और न ही समकालीन कविता का रेटॉरिक ही उसमें दुहराया जाता है नीलोत्पल में अन्तर्भूत आशय कभी अस्पष्ट नहीं होता। एक जटिल समय में, चीज़ों-स्थितियों के हमलावर धुँधलके के बीच, दुःसाध्य दुष्प्राय समकालीन-बोध के पीछे छूट जाने और बहुधा कथ्य की एकांगिकता से जूझते रहने के बावजूद अगर नीलोत्पल का कवि उद्यम मूल्यवान है, तो इसलिए कि उसकी कविता के दरवाज़े अन्ततः जीवन की तरफ़ खुलते हैं। नीलोत्पल की कविता में टेक्नीक को लेकर ज़्याद ऊहापोह नहीं है। कवि विशिष्ट कविता-जुगतों, ब्यौरों और उनके काव्यात्मक रूपान्तरण की तलाश में दूर तक नहीं जाता। उसका ज़ोर कथन की नैतिकता पर है। जिसे वह कविता दर कविता माँजता चला है। उसकी कविता मूल्य कथन की ओर बढ़ती है। इन मूल्य कथनों तक पहुँच सकने की दुष्करता और सरलीकरण के तमाम ख़तरों के बावजूद उसमें देश और स्थानिकता के संकेत हैं।
Log In To Add/edit Rating
You Have To Buy The Product To Give A Review