Anaaj Pakne Ka Samay

Neelotpal Author
Hardbound
Hindi
9788119014965
2nd
2023
170
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अनाज पकने का समय - 'अनाज पकने का समय' युवा कवि नीलोत्पल का पहला कविता संग्रह है। सहज जीवन-विवेक और मूल्य-बोध से भरी हुई नीलोत्पल की कविता में खुलने और उगने की एक स्वाभाविक चाह हमेशा देखी जा सकती है। कवि की इमेजरी भी एक खुलती हुई-सी इमेजरी है दूर की कौड़ी न सही लेकिन उसमें बन्द या कुन्द होता कुछ नहीं है। उसमें कविता के लिए आवश्यक धैर्य और दत्तचित्तता है। नीलोत्पल की कविता न मिथकों और आख्यानों में गहरे भीतर तक जाती है, न उसमें अभिशप्त आधुनिकता की किरचें और ख़राशें हैं और न ही समकालीन कविता का रेटॉरिक ही उसमें दुहराया जाता है नीलोत्पल में अन्तर्भूत आशय कभी अस्पष्ट नहीं होता। एक जटिल समय में, चीज़ों-स्थितियों के हमलावर धुँधलके के बीच, दुःसाध्य दुष्प्राय समकालीन-बोध के पीछे छूट जाने और बहुधा कथ्य की एकांगिकता से जूझते रहने के बावजूद अगर नीलोत्पल का कवि उद्यम मूल्यवान है, तो इसलिए कि उसकी कविता के दरवाज़े अन्ततः जीवन की तरफ़ खुलते हैं। नीलोत्पल की कविता में टेक्नीक को लेकर ज़्याद ऊहापोह नहीं है। कवि विशिष्ट कविता-जुगतों, ब्यौरों और उनके काव्यात्मक रूपान्तरण की तलाश में दूर तक नहीं जाता। उसका ज़ोर कथन की नैतिकता पर है। जिसे वह कविता दर कविता माँजता चला है। उसकी कविता मूल्य कथन की ओर बढ़ती है। इन मूल्य कथनों तक पहुँच सकने की दुष्करता और सरलीकरण के तमाम ख़तरों के बावजूद उसमें देश और स्थानिकता के संकेत हैं।

नीलोत्पाल (Neelotpal )

नीलोत्पल - जन्म: 23 जून, 1975, रतलाम, (मध्य प्रदेश)। शिक्षा: विज्ञान स्नातक, उज्जैन। प्रकाशन विभिन्न प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में कविताएँ प्रमुखता से प्रकाशित। यह पहला संग्रह।

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