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Bhor Hone Se Pahale

Mithileshwar Author
Hardbound
Hindi
9789355185020
3rd
2024
228
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भोर होने से पहले -

हिन्दी के ख्यात कथाकार मिथिलेश्वर का यह आठवाँ कहानी-संग्रह है। मिथिलेश्वर की कहानियाँ प्रायः उनकी अपनी ज़मीन से जुड़ी हुई होती हैं और वहाँ के शोषित, अभावग्रस्त और गरीबी में साँस ले रहे, या फिर विकसित हो रही औद्योगिक संस्कृति एवं शहरी हवा में कहीं खो गये आदमी की मनोदशा का विश्लेषण करती हैं। रचनाकार ने अपने आस-पास के जीवन को एक्स-रे नज़र से देखा, जाना है। जीवन के दुःखद, भयावह, कटु एवं विषाक्त परिवेश ने उसे भीतर तक कचोटा है, आहत किया है। शायद, इन्हीं सब विषमताओं और जटिलताओं से उपजी हैं मिथिलेश्वर की कहानियाँ ।

इनमें एक ओर जहाँ स्वाधीनता के इतने वर्ष बाद दीमक की तरह जहाँ-तहाँ चिपके सामन्ती जीवन-पद्धति का चित्रण है तो कहीं आश्रय और पनाह की खोज में भटक गयी ममतामयी नारी-काया का। इससे भिन्न कुछ एक कहानियाँ राजनीति और शिक्षा-जगत् के गिरते हुए मूल्यों की ओर मार्मिक व्यंग्य के लहजे में अंगुलि-निर्देश करती हैं। कुछ कहानियाँ शुद्ध काल्पनिक भी हैं।

आंचलिक यथार्थ को सजीव एवं प्रभावपूर्ण बनाने में बिम्बों-प्रतीकों का समायोजन इन कहानियों की अपनी विशेषता है। आशा है, सहृदय पाठकों और सुधी समालोचकों को मिथिलेश्वर जी की ये सभी कहानियाँ रुचिकर लगेंगी ।

मिथिलेश्वर (Mithileshwar)

मिथिलेश्वर जन्म : 31 दिसम्बर 1950, बिहार के भोजपुर ज़िले के बैसाडीह नामक गाँव में।शिक्षा : एम.ए., पीएच. डी. (हिन्दी)।लेखन : 1965 के छात्र-जीवन से ही प्रारम्भ। अब तक सौ से अधिक कहानियाँ, दो उपन्यास, दर्जनों

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