युवा पीढ़ी की प्रेम कहानियाँ
इश्क़ हक़ीक़ी का प्रयोग ईश्वर प्रेम और इश्क़ मजाज़ी का सांसारिक प्रेम के लिए होता है। इनका एक दुनियावी पहलू भी है। देखा गया है कि इश्के हक़ीक़ी इश्क़ मजाजी से कहीं अधिक ख़तरनाक है। यह जानलेवा भी साबित हो सकता है। इश्क़ हक़ीक़ी में गिरफ़्तार शख़्स और किसी काम का नहीं रहता, उस पर अहिर्निश एक ही धुन सवार रहती है। देवदास, मजनूँ, फरहाद, महींवाल और दुनियाभर के तमाम आशिक़ इसके शिकंजे में आ गये थे और जीवनभर यन्त्रणा पाते रहे। इश्के मजाज़ी घुन की तरह नहीं लगता। वह भौरे की तरह होता है, एकदम दिलफेंक। उसकी दीर्घकालीन वचनबद्धता कम देखने को मिलती है। महानगरों में प्रेम की परिकल्पना में तेज़ी से बदलाव आया है यहाँ इश्के मजाज़ी का ही दौरदौरा है। महानगरों में यहाँ प्रेम कैरियर की सीढ़ी भी है और सुरक्षा भी प्रदान करता है। शायद यही वजह है कि इधर लिखी जा रही प्रेम कथाओं में इश्के हक़ीक़ी वाली न तो भावुकता है और न जीवन मरण का प्रश्न । बल्कि प्रेम में एक नैसर्गिक और व्यावहारिक दृष्टिकोण है। महानगर का जीवन प्रेम की व्यापक स्पेस प्रदान करता है। यही कारण है कि महानगरों में प्रेमी युगलों के शव पेड़ों पर लटकते दिखाई नहीं देते । प्रायः देखा गया है कि अगर प्रेमी युगल मृत पाये जाते हैं तो उसके पीछे सामाजिक नहीं, आर्थिक कारण होते हैं। इसके विपरीत दिल्ली के पड़ोसी राज्य में प्रेम पर प्रतिबन्ध कायम है, प्रेमी युगलों को मर्मान्तक यातनाएँ दी जाती हैं, उनके परिवार का हुक़्क़ापानी बन्द कर दिया जाता है और अगर मौक़ा मिलता है तो उन्हें सरेबज़्म जान से भी मार दिया जाता है।
वास्तव में एक ही समय में भारत कई युगों में जी रहा है। पाषाण युग और इलेक्ट्रॉनिक युग एक साथ चल रहे हैं। जेब में अत्याधुनिक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है, मगर भेजे में मध्ययुग बैठा है। जिस गति से विकास हो रहा है उसी गति से धार्मिक उन्माद भी बढ़ रहा है। आज की कहानी इन्हीं अन्तर्विरोधों को समझने का कोशिश करती है ।
नयी पीढ़ी प्रेम के बारे में क्या सोचती है, यह जानना काफ़ी दिलचस्प होगा। कई कहानियों को पढ़कर लगता है कि कैरियर और प्रेम में जबरदस्त टकराव भी देखने को मिल रहा है। महानगरों में प्रेम विवाहों का प्रचलन भी बढ़ रहा है और 'लिव इन रिलेशनशिप' के प्रति भी युवाओं का रुझान बढ़ा है । प्रस्तुत पुस्तक में उन्नीस युवा रचनाकारों की प्रेम कहानियाँ हैं। सबका प्रेम के प्रति अलग रवैया है। कहीं चुहल है तो कहीं प्रेम के प्रति एक कॉमिक भाव, कहीं मैत्री और कहीं फ्लर्ट मात्र।
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