तृज्या - इन प्रेम कविताओं की विशिष्टता यह है कि यह कोरी भावुक रूमानियत से परे हैं। इनमें नये प्रतीकों के माध्यम से प्रेयसी की कामुक कमनीयता का मांसल सम्प्रेषण होता है; पर वह मेंहदी लगे हाथों वाली अवगुंठिता नहीं है, 'फ्रिल्स' व 'ब्लू डैनिम' से कटा-सँवारा सम्मोहन होतें हुए भी वह ‘अविश्लेष्या’ है। मूलतः वह शक्ति की स्रोत है। पर उसमें एक नैसर्गिक सौन्दर्य है (याद है कीट्स की ‘ओड टु ए ग्रेशियन अर्नः सौन्दर्य ही सत्य है और सत्य सौन्दर्य)। यह सभी कविताएँ प्रगाढ़ प्रमानुभूति के भाव से ओत-प्रोत हैं। लेकिन प्रेयसी के प्रति यह आकर्षण क्षणिक उद्वेग नहीं है। इसमें तो एक युग की-सी तपन है जिसे कवि ने कई विशाल बिम्बों से शब्दों में उकेरा है।
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