सुरंग में सुबह - 'सुरंग में सुबह' मिथिलेश्वर का पहला राजनीतिक उपन्यास है। यह प्रभु वर्ग के राजनीतिक पाखण्ड तथा निम्न वर्ग के अन्धविश्वास से एक साथ जूझता है। हम जानते हैं कि समकालीन राजनीति में सेक्स के द्वारा सफलता पाने की संस्कृति का वीभत्स विकास हुआ है। प्रस्तुत उपन्यास में सर्वोच्य पद पाने के लिए जिन अनैतिक माध्यमों का इस्तेमाल किया जाता है, वह दहला देता है। और भारतीय राजनीति के विकृत चरित्र को उघाड़ देता है। वस्तुतः इस उपन्यास में मिथिलेश्वर जहाँ भारतीय राजनीति के तलघर की यात्रा करते हैं वहीं सामाजिक बदलाव के लिए छटपटाते सामान्य जनता की आकांक्षाओं, उम्मीदों और अन्तर्विरोधों को भी सफलतापूर्वक प्रस्तुत करते हैं। राजनीति के सच को प्रस्तुत करती एक पठनीय कृति।
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