Sahsa Kucch Nahin Hota

Paperback
Hindi
8126310146
2nd
2014
96
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बसन्त त्रिपाठी (Basant Tripathi )

सहसा कुछ नहीं होता - 'स्वप्न से बाहर', 'सन्नाटे का स्वेटर', 'हम चल रहे हैं'— इन तीन खण्डों में संयोजित बसन्त त्रिपाठी की कविताएँ सपने देखने, न देखने—उनमें रह पाने, न रह पाने की छटपटाहट की कविताएँ है

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