प्रेमकथा: रति-जिन्ना - मेरे लिए तो जिन्ना घोर मज़हबी दक़ियानूसी मुसलमान और भारत विरोधी राजनीतिज्ञ था जिसके बारे में जानने के लिए शायद कुछ भी दिलचस्प नहीं था। चागला की पुस्तक से मेरी धारणा में कुछ दरार पड़ी। अब मुझे इस व्यक्ति में कुछ दिलचस्पी हुई। जिन्ना में कुछ कम रति में कुछ ज़्यादा। रति के बारे में पुस्तकें खँगालीं तो गहरा शून्य हाथ लगा। जिन्ना के बारे में राजनैतिक रूप से तो बहुत कुछ उपलब्ध था विशेष रूप से स्टैनली वोलपर्ट द्वारा लिखी उसकी जीवनी। यद्यपि इसमें भी जिन्ना का राजनैतिक जीवन ही प्रमुख है। पर व्यक्तिगत जीवन की कुछ प्रमुख घटनाएँ भी हैं। जिन्ना के जन्म से लेकर जब तक उसका साथ रति के साथ रहा, यह सब पढ़कर कितने ही भ्रम टूटे। इस पुस्तक के पढ़ने के बाद रति से जान-पहचान कुछ और गहरी हुई। रति मेरे मानसपटल पर छा गयी। इन स्थितियों में कितनी ही बार रति ने कल्पना में आकर पूछा— मेरी कहानी नहीं लिखोगे? इतिहास के पन्नों से मेरी जीवनकथा यों ही भुला दी जायेगी? मैंने वचन दिया ऐसा नहीं होगा तुम्हारी जीवनी लिखने का जिम्मा मेरा रहा। —पुस्तक की भूमिका से...
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