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Palasi Ka Yuddha

Hardbound
Hindi
9788126317127
2nd
2014
180
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₹200.00

पलासी का युद्ध - 'पलासी का युद्ध' बांग्ला लेखक तपन मोहन चट्टोपाध्याय की प्रसिद्ध कृति 'पलाशिर युद्ध' का रूपान्तर है। पलासी के युद्ध की घटना प्रसिद्ध ऐतिहासिक तथ्य है। इतिहास में भी एक अपना रस है, उस रस को सुरक्षित रखते हुए कृतिकार ने इस रचना-शिल्प के माध्यम से इतिहास और कथा साहित्य को सम्मिलित रूप से समृद्ध किया है। 1757 ईसवी बंगाल में मध्य युग के अवसान और वर्तमान युग के आविर्भाव का सन्धिकाल माना जाता है। पलासी का युद्ध इसी समय की घटना है। कथाकार ने उस समय के समाज तथा कलकत्ता के तत्कालीन शासकों की कैसी अवस्था थी, इस कृति में इसका बहुत ही प्रामाणिक एवं रोचक चित्रांकन किया है। कलकत्ता शहर की स्थापना और तत्कालीन परिस्थितियों को समझने में कृति का महत्त्व निर्विवाद है। उपन्यास की शैली अत्यन्त आकर्षक है। उसमें इतिहास की घटनाओं को ऐसे सहज ढंग से व्यक्त करने की क्षमता है, एक आत्मीय भाव है कि पाठक ख़ुद-ब-ख़ुद उससे जुड़ता चला जाता है। हिन्दी पाठकों की रुचि को ध्यान में रखते हुए वर्षों से दुर्लभ इस कृति का 'पुनर्नवा' श्रृंखला में प्रकाशन करते हुए ज्ञानपीठ को प्रसन्नता है।

कणिका विश्वास (Kanika Vishwas)

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तपन मोहन चट्टोपाध्याय (Tapan Mohan Chattopadhyay)

तपन मोहन चट्टोपाध्याय अपने समय के बांग्ला के प्रसिद्ध लेखक और विधिवेत्ता रहे हैं। राजा राममोहन राय और ठाकुर परिवार से उनके निकट के सम्बन्ध थे। तपन मोहन ने व्यावसायिक जीवन की शुरुआत वकालत से

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