Tapan Mohan Chattopadhyay

तपन मोहन चट्टोपाध्याय अपने समय के बांग्ला के प्रसिद्ध लेखक और विधिवेत्ता रहे हैं। राजा राममोहन राय और ठाकुर परिवार से उनके निकट के सम्बन्ध थे। तपन मोहन ने व्यावसायिक जीवन की शुरुआत वकालत से की। बाद में वे पूर्णकालिक साहित्य साधना में लग गये। उन्होंने यूरोप के अनेक देशों का भ्रमण किया और भारतीय दर्शन, इतिहास और साहित्य पर अनेक स्थानों में व्याख्यान दिये। श्री चट्टोपाध्याय 'विश्वभारती सोसायटी' की संसद (कार्यकारिणी समिति) के 1941 से 1951 तक सदस्य रहे। और फिर 'विश्वभारती' के विश्वविद्यालय बन जाने पर उसकी एक्ज़ीक्यूटिव काउंसिल के सदस्य (सन् 1960 तक) भी रहे। तपन मोहन चट्टोपाध्याय की फ्रांसिसी भाषा में लिखित 'सू ले माँगुए' (आम्रकुंज की छाया में) के अतिरिक्त उनकी 'एपल ब्लॉस्सोम ऐंड अदर स्टोरीज़', 'आल्पना', 'पलाशिर युद्ध', 'स्मृतिरंग', 'बांग्ला लिरिकेर गोड़ार कथा', 'हिन्दू आईने बिबाह' (हिन्दू विवाह विधान) तथा 'द रोड टू प्लासी' कृतियाँ प्रकाशित हैं।

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