पास-पड़ोस - ज्ञान गरिमा के 70 वर्ष की इस श्रृंखला में हम पास-पड़ोस के साहित्य को लेकर उपस्थित हैं। दरअसल, अनुवाद के रास्ते पाकिस्तान में लिखा गया साहित्य तो प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है। अन्य देश का साहित्य अनुवाद के रास्ते कम। यह भी एक विडम्बना है कि हम अनुवाद के रास्ते यूरोप, अफ्रीका और अन्य भू-भागों से बनिस्बत ज़्यादा जुड़े हैं लेकिन पड़ोस पर निगाह कम ही रही। देखा जाये तो भौगोलिक के साथ सांस्कृतिक, राजनैतिक, सामाजिक और वैचारिक संवेदना लोक इस भूगोल का एक सा है। सरोकार भी वैश्विक फलक पर हमसफ़र की तरह है। हमारे दुख-सुख, संघर्ष, असहायता, विडम्बना, आशा, आत्म निर्वासन, विस्थापन और अवसाद भी एकराग हैं। पास-पड़ोस का साहित्य बेहतर जीवन के स्वप्न देखता है और दुनिया को सुन्दर बनाने के रास्ते पर बज़िद क़दम बढ़ाता है।
Log In To Add/edit Rating
You Have To Buy The Product To Give A Review