मैत्रेय जातक - गौतमबुद्ध की समकालीन भारतभूमि के प्रेक्षापट्ट पर रचित यह बृहद् उपन्यास एक ही साथ ऐतिहासिक एवं समयातीत मानव प्रवाह का धारक है। दो खण्डों में विन्यस्त इस उपन्यास की कथावस्तु का केन्द्र बिन्दु बौद्धजातक है। उपन्यास में भिन्न-भिन्न स्तरों में उन्मोचित होती विभिन्न गाथाएँ– संघात एवं सम्प्रसारण में, विन्यास एवं पुनर्विन्यास में, आवेश एवं आकांक्षा में दीपालोक की भाँति कभी कम्पित होती हैं, तो कभी स्थिर रहती हैं। कहानी के केन्द्र में स्वयं तथागत बोधिसत्व हैं और हैं—लोकविश्रुत सम्राट और समाज के निम्नवर्गीय व्रात्य-पतित जन। चरित्र चित्रण में लेखिका ने प्रस्तुत उपन्यास 'मैत्रेय जातक' में प्राचीन जन-जीवन का अतिक्रम करके आधुनिक जीवन के अन्तर्लोक को स्पर्श किया है। भाषा एवं कथा प्रस्तुति में सफल वाणी बसु की यह कृति मनुष्य के शाश्वत जीवनचर्या का अविस्मरणीय स्मारक है।
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