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Mahatma Jyotiba Phule ( Jeevan Katha )

Hardbound
Hindi
9789326355360
1st
2017
64
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₹150.00

महात्मा ज्योतिबा फुले - भारतीय समाज को वक़्त-बेवक़्त कुछ समाज सुधारक और मार्गदर्शक मिलते ही रहे हैं। महात्मा ज्योतिबा फुले उनमें से एक हैं, जिन्होंने दलित, पराश्रित, निराश्रित और दीनहीन समाज को शिक्षा, नैतिक संघर्ष और जागरूकता का पाठ पढ़ाया। लेखक ने महात्मा फुले की जीवन-कथा में उन ख़ास बिन्दुओं पर विचार किया है, जिसके कारण ज्योतिबा फुले जैसे साधारण आदमी को 'महात्मा' का पद प्राप्त हुआ। अंग्रेज़ी शासन काल में निम्न समाज के लोगों को शिक्षा पाने का अधिकार ही नहीं था। पूरा महाराष्ट्र पेशवा साम्राज्य का दास बना हुआ था, जिस पर अछूतों, दलितों और उनकी महिलाओं की सामाजिक तथा आर्थिक स्थिति सबसे बुरी थी। महात्मा फुले ने अपने बलबूते पर पहले महिलाओं को शिक्षित करने का उपक्रम शुरू किया। फिर धीरे-धीरे समाज में फैले अत्याचार और शोषण के ख़िलाफ़ मोर्चाबन्दी की। लेखक ने इन सभी बिन्दुओं को आलोकित किया है। उस समय अंग्रेज़ी सरकार वैसे तो किसी की बात सुनने को तैयार नहीं थी, मगर इसने महात्मा फुले के महिलाओं की शिक्षा के लिए कार्यों की सराहना ही नहीं की, इस कार्य के लिए उन्हें सम्मान भी दिया। महात्मा फुले का जीवन विराट है, लेखक ने अपनी सहज और आत्मीय भाषा में उनके सम्पूर्ण जीवन को संक्षिप्त, मगर सम्यक शैली में लिखा है। आशा है, नयी पीढ़ी के पाठक इसे पसन्द करेंगे।

हीरालाल नागर (Hiralal Nagar )

कहानी, कविता और समीक्षात्मक लेखन में सक्रिय। 'समय चेतना', 'दैनिक भास्कर' और 'अहा! जिन्दगी’ पत्रिका में कार्य। 'जंगल के ख़िलाफ़' (कहानी-संग्रह), 1994 में, 'अधूरी हसरतों का अन्त' (कहानी संग्रह) 2004 में और च

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