Kotta

Hardbound
Hindi
9788126318117
2nd
2009
272
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कोट्टा - प्रसिद्ध राजनेता तथा कन्नड़ के यशस्वी कवि कथाकार एम. वीरप्पा मोयिलि का अद्वितीय उपन्यास है 'कोट्टा'। मोयिलि का यह तीसरा उपन्यास है। इससे पहले दक्षिण कनारा ज़िले के समुद्र तट पर बसनेवाले मछुआरों के जीवन पर आधारित उनका एक अन्य उपन्यास 'सागरदीप' भी बहुत चर्चित हुआ। 'कोट्टा' में दक्षिण कनारा के सुदूरवर्ती जंगलों में बसनेवाली कोरग जनजाति के रहन-सहन, उनकी संस्कृति और रीति-रिवाजों के साथ-साथ उनके शोषित और अभावग्रस्त जीवन का मार्मिक चित्रण है। साथ ही कथाकार ने इसमें जहाँ कोरगों के शक्ति-सामर्थ्य, उनकी भावनात्मक सरलता और लोक सम्पदा के हृदयग्राही चित्र उकेरे हैं, वहीं सत्ता लोलुप एवं कुटिल नेताओं तथा स्थानीय अधिकारियों द्वारा किये जा रहे उनके शारीरिक एवं आर्थिक शोषण को पूरी प्रामाणिकता के साथ उजागर किया है। एक जनसेवक के नाते कथाकार ने उनके बीच जाकर उनके सुख-दुख को जाना-समझा और फिर उसे उपन्यास के कथा-शिल्प में ढाला है। यही कारण है कि उपन्यास के प्रायः सभी पात्र काल्पनिक न होकर जीवन्त हैं। भोली-भाली कोरग युवती 'पींचलु' का शारीरिक यौन-शोषण तथा समस्याओं से जूझ रहे मल्लय्या जैसे व्यक्ति की कर्तव्यनिष्ठा सहृदय पाठकों पर गहरी छाप छोड़ते हैं। सन्देह नहीं कि 'कोट्टा' उपन्यास के माध्यम से कन्नड़ कथाकार मोयिलि की रचनात्मक ऊर्जा और कथानक की रसात्मक अभिव्यक्ति से हिन्दी का प्रबुद्ध पाठक एक विशिष्ट एवं प्रीतिकर साक्षात्कार कर सकेगा।

एम. वीरप्पा मोइली अनुवाद बी. आर. नारायण (M. Veerappa Moily Translated by B.R. Narayan )

एम. वीरप्पा मोयिलि - कर्नाटक के प्रसिद्ध नेता, एडवोकेट और कवि—कथाकार। कर्नाटक के दक्षिण कनारा ज़िले के मर्पडि ग्राम (मूडबिद्रि) में 12 जनवरी, 1940 को जन्म। मैसूर एवं बैंगलोर यूनिवर्सिटी से बी.ए., ब

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