Kavi Parampara Ki Padtal

Hardbound
Hindi
9789326355063
1st
2017
256
If You are Pathak Manch Member ?

कवि परम्परा की पड़ताल - यह किताब उत्तरछायावादी दौर के बाद उभरनेवाले कवियों से लेकर बीसवीं सदी के सातवें दशक तक स्थापित हो चुके कवियों की कविता को देखने का विशुद्ध पाठकीय उपक्रम है। इन कवियों ने आज की हिन्दी कविता के लिए पुख़्ता आधार बनाने का काम किया है। इस काम के सिलसिले में यह विचार और भी मज़बूत हुआ है कि हिन्दी कविता अपने स्वभाव में सर्वसमावेशी और बहुलतावादी है। अनेक विचार और उन्हें कहने की कई पद्धतियाँ हिन्दी कविता में आद्यन्त विद्यमान रही हैं। विशेष तथ्य यह है कि मनुष्य और उसका जीवन-जगत इस कविता का केन्द्रीय विचार रहा है। मनुष्य जीवन के सरोकारों को रचनात्मक विवेक बनाना यानी काव्य विषय के रूप में प्रस्तावित करना इसकी ख़ासियत है। बुनियादी तौर पर यह कविता जनोन्मुख रही है। मनुष्य के जटिल जीवन को सरल लोकधर्मी शैली में सहज सम्प्रेषित करनेवाली कविता ही बड़ी कविता के रूप में सामने आयी है। ऐतिहासिक नज़रिये से देखें तो इस किताब में जिन कवियों पर बात की गयी है वे प्रगतिवाद, प्रयोगवाद, नई कविता, साठोत्तर कविता और बीसवीं सदी के सातवें दशक के स्थापित कवि हैं। यह कहने में कोई हिचक नहीं कि यह वर्गीकरण कतई अकादमिक है लेकिन कोई और विकल्प ग़ैर-अकादमिक ऋषि-मुनियों ने अब तक सुझाया नहीं है, इसलिए फ़िलहाल इससे ही काम चलाना होगा। इस किताब में कवियों पर की गयी टिप्पणियाँ पेशेवर आलोचक या आत्मश्लाघाग्रस्त रचनाकार की न होकर एक सहृदय पाठक की हैं। कविता का आस्वाद लेते हुए आलोचकीय निष्कर्ष अनायास व्यक्त हुए हैं।

हेमंत कुकरेती (Hemant Kukreti)

show more details..

My Rating

Log In To Add/edit Rating

You Have To Buy The Product To Give A Review

All Ratings


No Ratings Yet

E-mails (subscribers)

Learn About New Offers And Get More Deals By Joining Our Newsletter