Vinayak Krishna Gokak

Hardbound
Hindi
NA
1st
1991
86
If You are Pathak Manch Member ?

कवि - मनीषी निर्णायक कृष्ण गोकाक - वर्ष 1990 के ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित विनायक कृष्ण गोकाक की स्वरलहरी 'कर्णाटक' नाद-सौन्दर्य का पंचम स्वर है। इस स्वर का रस संचार पिछले छह दशकों से केवल भारतीय साहित्य को ही नहीं, बल्कि विश्व साहित्य को भी निनादित करता रहा है। कन्नड़ में 50 और अंग्रेज़ी में 25 से अधिक कृतियों के प्रणेता विनायक के काव्य-दर्शन में एक विश्व मानव का विराट दर्शन होता है। काव्यर्षि गोकाक की कालजयी रचना 'भारत सिन्धु रश्मि' में काव्य और जीवन का यही सामरस्य परिलक्षित होता है, जिसमें श्वरथ के संचालन से अपनी जीवन यात्रा का प्रारम्भ करने वाला रश्मि सारथी अन्त में विश्व जनीन भावना से ओतप्रोत विश्वामित्र के रूप में शाश्वत प्रतिष्ठा प्राप्त करता है। 'गोकाक' (गो-काकु) शब्द अपने आप में स्वर्ग की स्वरलहरी का बोधक है। अर्थ और परमार्थ का साहित्यिक और सांस्कृतिक संगम ही विनायक कृष्ण गोकाक का काव्यार्थ है, जिसका एकमात्र ध्येय है विश्व विजयिनी मानवता के प्रति आस्था का प्रजागरण। गोकाक की काव्य-साधना का यह संक्षिप्त परिचय सहृदय पाठक-समाज के सामने प्रस्तुत करने में भारतीय ज्ञानपीठ आन्तरिक प्रसन्नता का अनुभव करता है।

डॉ. टी.आर. भट्ट (Dr. T.R. Bhatt)

डॉ. टी.आर. भट्ट - टी.आर. भट्ट का जन्म 29 अक्टूबर, सन् 1944 को हुआ। अपनी जन्मभूमि कर्नाटक में हिन्दी के शलाका पुरुष माने जाने वाले श्री भट्ट ने हिन्दी-कर्नाटक तुलनात्मक साहित्य -लेखन के विशेषज्ञ, अनुव

show more details..

My Rating

Log In To Add/edit Rating

You Have To Buy The Product To Give A Review

All Ratings


No Ratings Yet

E-mails (subscribers)

Learn About New Offers And Get More Deals By Joining Our Newsletter