कौरव सभा - कौरव-सभा महाभारत का सबसे घिनौना और लज्जाजनक प्रकरण है जिसमें सम्मिलित हर व्यक्ति धर्मच्युत हुआ। कौरव-पाण्डव कोई भी इससे बच नहीं पाया। आज तो जगह-जगह कौरव-सभा बैठी है। अनुचित साधनों से संगृहीत काले धन ने राजनेताओं, प्रशासकों, पुलिसकर्मियों और छोटे-बड़े अन्य कर्मचारियों को ख़रीदकर पूरे समाज को ही भ्रष्टाचार के कगार पर ला खड़ा किया है। ऐसे में कौन कृष्ण किस-किस द्रौपदी की लाज बचाने के लिए भागेंगे? यह उपन्यास हमारे सामने कुछ ऐसे ही प्रश्न खड़े करता है। 'कौरव-सभा' दो भाईयों और उनके परिवारों की कहानी है। एक पक्ष किराये के गुंडों से दूसरे पक्ष पर स्वार्थ के लिए आक्रमण करवा देता है। फिर शुरू होती है मुक़दमेबाजी, पुलिस, प्रशासन और राजनेताओं का खेल, न्याय को ख़रीदने की कोशिश, वकीलों के हथकंडे, जो झुके नहीं उन्हें तोड़ने का यत्न। जीत किसकी होती है और किसकी होनी चाहिए—इसी द्वन्द्व को प्रस्तुत करता है यह उपन्यास।
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