Qalam Zinda Rahega!

Alok Yadav Author
Hardbound
Hindi
9789390659050
2nd
2022
88
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क़लम ज़िन्दा रहेगा - आलोक यादव ने बड़ी सुरअत से अदबी और शेअरी हलक़ों में अपनी शनाख़्त बनायी है। इसका एक सबब शायरी के तईं उनकी हमा-वक़्ती वाबस्तगी और मश्क़े-सुख़न है। उनके कलाम को देखकर दो बातें ज़ेह्न में आती हैं। पहले तो ये कि वो अपने कलाम को मंज़रे-आम पर लाते वक़्त बड़े एहतियात से काम लेते हैं और दूसरे ये कि वो शेअर को वजूद में लाने से पहले ज़ेहनो-एहसास की भट्ठी में पकाने की सई करते हैं। उनकी शेअरी कायनात रोज़मर्रा अलफ़ाज़ो-तराकीब के साँचे में आम इन्सानी एहसासातो-अफ़्कार के साथ मसाइले-हयात और मुआशरती ना-हमवारियों को ब-हुस्नों-ख़ूबी ढाल देना है। रिवायती तर्ज़ से जुदा, मुआसिर ग़ज़ल ग़मे-हयात और मुआसिर हालातो-वाक़ियात का आईना भी है, और इस मजमुए की ग़ज़लों में भी असरी हिस्सियत का इज़हार फ़नकाराना अन्दाज़ में जा-बजा मिल जाता है। उम्मीद है मौसूफ़ का शेअरी सफ़र इसी जोशो-जौक़ के साथ रवाँ-दवाँ रहेगा और इसकी इशाअत के बाद अहले-ज़ौक़ इसकी पज़ीराई करेंगे। —प्रो. अख़लाक़ 'आहन' जे.एन.यू., दिल्ली

आलोक यादव (Alok Yadav)

आलोक यादव पेशे से एक सरकारी अधिकारी हैं। वे तार्किक बुद्धि और भावुक हृदय रखते हैं जो उन्हें एक अनोखा शायर बनाते हैं। वे जब कल्पना की उड़ान भरते हैं तब भी अपने पाँव ज़मीन पर टिका कर रखते हैं। उन

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