Kahte Hain Tab Shahanshaah So Rahe The

Hardbound
Hindi
9788126316946
2nd
2011
136
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कहते हैं तब शहंशाह सो रहे थे - उमा शंकर की कविताएँ अपने मूल स्वर में राजनीतिक हैं और इनके विषय वस्तु का क्षेत्र व्यापक है। यथार्थवादी विचार व भाव की इन कविताओं में स्वाभाविक रूप से एक बेचैनी है।—नामवर सिंह ('अंकुर मिश्र स्मृति पुरस्कार 2007' के निर्णायक के रूप में दी गयी सम्मति) उमा शंकर चौधरी युवा कवियों में एक जाना-माना नाम है— रघुवीर सहाय की परम्परा का उत्तर आधुनिक विस्तार! भूमण्डलीकरण के बाद के क़स्बे, नगर, गली, मुहल्ले उनकी कविता में अकबकाये मिलते हैं— जन जीवन में बिखरी पीड़ा, विवशता और बेचैनी के कई अन्तरंग चित्र इनकी कविता खड़े करती है। राजनीतिक षड्यन्त्र, आगजनी, हत्या, आतंक, लूटपाट और मूल्यहीनता, आपसी सम्बन्धों में सहज ऊष्मा का अभाव, अपने आप में इतने बड़े विषय हैं कि 'कोई कवि बन जाये सहज सम्भाव्य है'। लेकिन इन बड़े विषयों पर लिखते हुए बड़बोला होने के ख़तरे बने रहते हैं। उमा शंकर की ख़ासियत यह है कि वे बड़बोला होने से बचते हैं— कभी फ़ैंटेसी के सहारे, कभी दूसरी महीन तकनीकों के दम से जो अचानक ब्रेक लगाकर पाठक को झटक देती हैं; आँखों को और अधिक आँखें बनाती हैं, कानों को और अधिक कान, कम-से-कम चौकन्ना तो उसको कर ही देती हैं जो अपने आप में एक बड़ी बात है।– अनामिका ('जनसत्ता' के स्तम्भ 'रंग-राग' से)

उमा शंकर चौधरी (Uma Shankar Choudhary)

उमा शंकर चौधरी 1 मार्च, 1978 को खगड़िया, बिहार में जन्म। कविता और कहानी लेखन में समान रूप से सक्रिय ।प्रकाशन : चार कविता संग्रह कहते हैं तब शहंशाह सो रहे थे, चूंकि सवाल कभी ख़त्म नहीं होते, वे तुमसे प

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