Gira Anayan Nayan Binu Bani

Hardbound
Hindi
NA
1st
1993
130
If You are Pathak Manch Member ?

गिरा अनयन नयन बिनु बानी - यह उपन्यास एक प्रतिभाशाली अन्धे गायक की कहानी है। कथानायक कान्तम जीवनभर अपनी नेत्रहीनता के कारण समाज में पीड़ित, अपमानित और अवशोषित होकर भी अन्त में गायक के रूप में ख्याति प्राप्त करता है। साथ ही जब गूँगी किन्तु सुन्दर नयनों वाली 'कल्याणी' (नायिका) को अपनी जीवन-संगिनी के रूप में पाता है तो वह विधि के विचित्र विधान को देखकर चकित हो जाता है। कान्तम और कल्याणी का जीवन एक-दूसरे का पूरक बनता है। इतना ही नहीं, विधि का विधान कुछ ऐसा रहा कि उन दोनों से जो सन्तान हुई उसे पिता की वाणी और माँ के नयनों का सार मिला इस प्रकार अनयन गिरा सुनयन बन जाती है और मौन नयन-मुखर। सारे उपन्यास में कथानायक का जीवन संघर्ष नये उपाख्यानों के साथ चित्रित है जिनमें आधुनिक जीवन का लगभग हर पहलू किसी-न-किसी रूप में समाविष्ट है। वस्तुविन्यास, कथनोपकथन और पात्र-सृष्टि में उपन्यास का सर्वतोमुखी सौन्दर्य तो उभरा ही है, साथ ही सारी रचना में अन्तःसलिला की भाँति जीवन के प्रति ममता एवं जिजीविषा का भाव प्रमुख रूप से व्यंजित हुआ है। आशा है, यह कृति हिन्दी पाठकों को सहज ही आकर्षित करेगी।

बलिवाड़ कांताराव अनुवाद डॉ. आई. पांडुरंग राव (Balivad Kantarao Translated by Dr. I.Panduranga Rao )

बलिवाड कान्ताराव - बलिवाड कान्ताराव का जन्म 3 जुलाई, 1927 को आन्ध्रप्रदेश के श्रीकाकुलम् ज़िले के माडपाँ गाँव में हुआ था। छोटी सी उम्र में ही कान्ताराव शिक्षा और आजीविका की तलाश में गाँव से निकल

show more details..

My Rating

Log In To Add/edit Rating

You Have To Buy The Product To Give A Review

All Ratings


No Ratings Yet

Related Books