Ek Sahityik Ke Prempatra

Hardbound
Hindi
9789326350891
1st
2013
648
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एक साहित्यिक के प्रेमपत्र

भारती जी के पत्रों का यह संकलन मात्र संकलन नहीं है, यह तो प्रतिबिम्ब है उस बिम्ब का जिसे 'प्रेम' कहा जाता है, जिसे शास्त्रों ने अगम, अगोचर और अनिर्वचनीय कहा है, और जिसे युगों-युगों से साहित्यकारों और कलाकारों ने अपने-अपने ढंग से अभिव्यक्त करने की कोशिश की है, फिर भी यह लगता रहा है कि बहुत कुछ है जो अनकहा रह गया है... इन पत्रों से आप जान सकेंगे कि आपके प्रिय रचनाकार डॉ. धर्मवीर भारती की सारी सृजन-यात्रा किस खोज में लगी रही थी, उनकी जीवनदृष्टि किन क्षितिजों को मापना चाह रही थी, उन्हें उन कौन से मूल्यों की तलाश थी जो उनके अस्तित्व की वास्तविक पहचान बन सकें। क्या वह रचनाकार अपने सत्य को पहचान सका? जी सका? उससे साक्षात्कार कर सका? या फिर जीवन भर किन्हीं बीहड़ों और कन्दराओं में भटकता ही रहा?...

धर्म, कर्म, मान, मर्यादा, दायित्व, विधि-विधान सबकुछ स्वयंभू प्रेम-तत्त्व पर न्योछावर करके उसे सम्पूर्ण रूप में जीकर जानना चाहा था भारतीजी ने। मेरी सार्थकता तो केवल इतनी थी कि मैं उन्हें वह सब दे सकी, जिसको आधार बना कर उन्होंने इस तत्त्व का साक्षात्कार करने की कोशिश की...।

बड़ी बेख़ौफ़, बेलौस, बेख़बर, निश्चिन्त यात्रा थी वह! अब इन पत्रों के माध्यम से फिर-फिर उस यात्रा पर निकल पड़ती हूँ। हर बार पाती हूँ कि ये वही पगडंडियाँ हैं, वही मोड़-दर-मोड़ लेते रास्ते हैं जिन पर सदियों से चलती चली आयी हूँ....सदियों तक चलती चली जाऊँगी.....

— पुष्पा भारती

पुष्पा भारती (Pushpa Bharti )

पुष्पा भारती 11 जून 1935 को उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में जन्म। 1955 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से हिन्दी में एम.ए. । 1956 से कलकत्ता विश्वविद्यालय से सम्बद्ध श्री शिक्षायतन कॉलेज में पाँच वर्ष अध्य

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