चोंच भर बादल - 'चोंच भर बादल' वीना श्रीवास्तव का चौथा कविता संग्रह है। इस संग्रह में शामिल कविताएँ तमाम उपमाओं और बिम्बों से सुसज्जित एक ऐसे लोक का निर्माण करती हैं जो कवयित्री ने अपने हृदय के स्पन्दनों से रचा है। कविता यूँ भी एक ऐसी विधा है जो जितनी स्वतन्त्र है, उतनी बेख़ौफ़ भी है। इस संग्रह में एक कवि हृदय ने अपनी कविताओं में संसार को उस दृष्टि से देखा है जिसे और कोई नहीं देख सकता। ये कवितायें स्त्री की उड़ान, उसका घर-संसार, उसका अस्तित्व, सभ्यता, बचपन की स्मृतियाँ और पुरुषत्व को एक विराट परिदृश्य में खोजने, रचने और बरतने की ओर एक घनीभूत संकेत को जन्म देती हैं। वीना श्रीवास्तव अपनी कविताओं में एक ऐसे स्पेस और समय को निर्मित करती हैं जो पाठकों के लिए कौतुक, विस्मय और कहीं-कहीं विडम्बना को दर्शाता है। कवयित्री ने जिस मनोभाव को रचा है उसकी गूढ़ और सांकेतिक शब्दावली असाधारण होते हुए भी इतनी सहज है कि पाठकों को ये कविताएँ समझने के लिए उसी सहजता को परिलक्षित करना होगा।
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