Bharat Vibhajan Kee Antahkatha

Priyamvad Author
Hardbound
Hindi
9788126318513
5th
2020
590
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भारत विभाजन की अन्तःकथा - विभाजन भारत के इतिहास की सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण घटना है। एक ऐसा देश, जिसकी सीमाएँ मौर्य साम्राज्य से लेकर औरंगज़ेब तक लगभग एक-सी रहीं, 1947 में धर्म के नाम पर बन्द कमरों में बैठकर, दो टुकड़ों में बाँट दिया गया। एक बृहत् सार्वभौम भारत की सम्भावना का अन्त हो गया। यह क्यों हुआ? कौन थे इसके ज़िम्मेदार? या फिर इतिहास की वे कौन-सी ऐसी अन्तर्धाराएँ थीं जिन्होंने ऐसे प्रबल प्रवाह को जन्म दिया जिसे रोकने में सब असमर्थ थे? हिन्दू और मुसलमान साथ क्यों नहीं रह सके? नहीं रह सकते थे क्या? तब देश का शीर्षस्थ नेतृत्व क्या कर रहा था? क्या भूमिका थी उसकी? कहाँ थे इस विभाजन के बीज? यह पुस्तक ऐसे अनेक प्रश्नों के उत्तर तलाशती है। अनेक घटनाओं के जन्म, विकास, प्रभाव व परिणामों (1947) के दो सौ चालीस वर्षों तक फैले लम्बे कालखण्ड में उन समस्त कारकों का अध्ययन व विवेचन प्रस्तुत किया गया है जिन्होंने हिन्दू और मुसलमानों के सम्बन्धों को प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से गहराई तक प्रभावित किया। उनके बीच की खाई को निरन्तर चौड़ा किया, उन्हें दो अलग-अलग दिशाओं में ढकेला और उनके बीच उस विघटन को निरन्तर बढ़ाया जो अन्ततः विभाजन के रूप में फलीभूत हुआ। प्रियंवद की सम्मोहक भाषा, रोचक शैली और विवेचनात्मक अन्तर्दृष्टि पाठकों के लिए नयी नहीं है। उनके उपन्यासों, लेखों और कहानियों से हिन्दी जगत अच्छी तरह परिचित है। प्रियंवद की यह कृति उनके इतिहास बोध, विवेचना की गहन अन्तर्दृष्टि व जीवन्त भाषा का प्रामाणिक दस्तावेज़ होने के साथ-साथ, हिन्दी की एक बड़ी ज़रूरत को पूरा करती है।

प्रियंवद (Priyamvad )

प्रियंवद - जन्म: 22 दिसम्बर, 1952, कानपुर (उ.प्र.)। शिक्षा: एम.ए. (प्राचीन भारतीय इतिहास एवं संस्कृति)। प्रकाशित पुस्तकें: 'परछाईं नाच', 'वे वहाँ क़ैद हैं' (उपन्यास); 'एक अपवित्र पेड़', 'खरगोश', 'फाल्गुन की एक

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