Beesavin Sadi Ka Hindi Sahitya

Author
Hardbound
Hindi
9788126340323
3rd
2012
228
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बीसवीं सदी का हिन्दी साहित्य - बीसवीं सदी अनेक दृष्टियों से उल्लेखनीय और महत्त्वपूर्ण रही है। इस सदी में जहाँ भारत में स्वाधीनता संघर्ष और स्वाधीनता प्राप्ति जैसी महान घटनाएँ हुई, वहीं संसार के इतिहास में ऐसी अनेक हलचले हुई जो आगे भी मानव-नियति को प्रभावित करेंगी। इस सदी में दो विश्वयुद्ध हुए, शीतयुद्ध के बादल मँडराये, विश्व शान्ति की चिन्ता गहरी हुई। विज्ञान और तकनीकी इसी सदी में चरम सीमा पर पहुँची, भूमण्डलीकरण, आर्थिक उदारीकरण और सूचना क्रान्ति की आँधी आयी। आधुनिकता, उत्तर-आधुनिकता और उत्तर संरचनावाद जैसे बौद्धिक विमर्श हुए। विश्व की और देश की इन तमाम घटनाओं, विमर्शों, विचारधाराओं का असर हिन्दी साहित्य पर पड़ा। इस दौर में यदि अनेक रचना-आन्दोलन जनमे, विकसित हुए और परिणति पर पहुँचे तो ऐसे भी दौर आये जिनमें कुछ आन्दोलन अकाल मृत्यु को प्राप्त हुए। इन्हीं सब प्रश्नों को लेकर प्रस्तुत पुस्तक में अधिकारी विद्वानों द्वारा विभिन्न विधाओं के माध्यम से बीसवीं सदी के हिन्दी साहित्य की अत्यन्त सारगर्भित विवेचना की गयी है। आशा है, अपने समय और साहित्य की हलचलों से परिचित होने में यह पुस्तक आम पाठकों, विद्यार्थियों, शोधछात्रों और प्रबुद्धजनों की सहायता करेगी। इस महत्त्वपूर्ण सुसम्पादित पुस्तक को प्रकाशित करते हुए भारतीय ज्ञानपीठ को प्रसन्नता है।

विश्वनाथ प्रसाद तिवारी (Vishwanath Prasad Tiwari)

विश्वनाथ प्रसाद तिवारीजन्म : 1940 ई., कुशीनगर जनपद के एक गाँव रायपुर भैंसही - भेड़िहारी (उ.प्र.) ।पद : गोरखपुर विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में आचार्य एवं अध्यक्ष पद से 2001 ई. में अवकाश ग्रहण | प्रकाशि

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