प्रस्तुत पुस्तक में लेखक ने यू.जी.सी. के पाठ्यक्रम के अनुसार भारतीय साहित्य का स्वरूप, भारतीय साहित्य के अध्ययन की समस्याएँ, भारतीय साहित्य में आज के भारत का बिम्ब, हिन्दी साहित्य में भारतीय मूल्यों की अभिव्यक्ति, भारतीय भाषाओं का इतिहास आदि विषयों पर विस्तारपूर्वक विवेचन किया है। इस पुस्तक का तृतीय खण्ड अत्यन्त उपयोगी है, इस खण्ड के अन्तर्गत तमिल, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम, बंगला, मराठी, गुजराती और उर्दू साहित्य के साथ हिन्दी साहित्य को जोड़कर भक्तिकाल और आधुनिक काल का तुलनात्मक विश्लेषण किया गया है। अग्निगर्भ (महाश्वेता), वर्षा की सुबह (सीताकान्त महापात्र), घासीराम कोतवाल (तेंदुलकर), हयवदन (गिरीश कार्नाड) की समीक्षा की भी एक झलक है। एक तरह से यह पुस्तक यू.जी.सी. के पाठ्यक्रम के अनुसार भारतीय साहित्य पर एक सम्पूर्ण ग्रन्थ है। सरल सुबोध शैली में लिखी गयी अपनी तरह की यह पहली पुस्तक है। हमें विश्वास है यह पुस्तक पाठकों को लेखक के मन और हृदय के निर्माण क्षणों की वेदना का लेखा दे सकेगी।
-प्रकाशक
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