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Deh Ki Munder Par Tatha Anya Nibandh

Gagan Gill Author
Hardbound
Hindi
9789388434362
1st
2019
140
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₹395.00

हर देह एक मुँडेर है। उसकी सीमा से आगे संसार शुरू होता है। संसार, जिसका रहस्य, जिसमें अपनी उपस्थिति का आशय, हमें समझना होता है। स्त्री हो, तो उसे हरदम ध्यान रखना होता है, कहीं उलच न जाये, गिर न जाये। ऐसा नहीं कि पुरुष जीवन कोई आसान जीवन है, फिर भी। मैंने इस संसार को स्त्री की आँख से ही देखा है। मेरी संज्ञा का कोई पक्ष नहीं जो स्त्रीत्व से अछूता हो। फिर भी मैं ‘मात्र स्त्री नहीं, जैसे चिड़िया केवल चिड़िया नहीं, मछली केवल मछली नहीं। हमारे होने का यही रहस्यमय पक्ष है। जो हम नहीं हैं, उस न होने का अनुभव भी हमारे भीतर कहाँ से आ जाता है? इस पुस्तक के निबन्ध साहित्यिक आयोजनों के सम्बोधन के रूप में लिखे गये कुछ प्रसंग हैं। हर सभा के अलग श्रोता, अलग जिज्ञासु । जब इन्हें लिखा गया था, तब कभी सोचा नहीं था, एक दिन ये किसी पुस्तक में एक-दूसरे की अगल-बगल होंगे। कि अनायास ही ये आपस में बहस करते दिखेंगे। वह बहस ही क्या, जो अपने साथ न हो ? शायद इनसे कोई बात निकलती हो, बनती हो। -गगन गिल

गगन गिल (Gagan Gill )

सन् 1983 में ‘एक दिन लौटेगी लड़की’ कविता शृंखला के प्रकाशित होते ही गगन गिल (जन्म: 1959, नयी दिल्ली, शिक्षा: एम. ए. अंग्रेज़ी साहित्य) की कविताओं ने तत्कालीन सुधीजनों का ध्यान आकर्षित किया था। तब से अब तक

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