Nadi Ki Talash Mein

Hardbound
Hindi
9789355180520
1st
2022
268
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नदी की तलाश में -

जल एवं अन्य प्राकृतिक संसाधनों के अन्धाधुन्ध उपयोग के कारण इनके स्रोतों का ह्रास हो रहा है। जलवायु परिवर्तन से आ रहे नकारात्मक बदलावों और चुनौतियों का प्रत्युत्तर देने के लिए विश्व भर के देशों में लगातार प्रयास हो रहे हैं। नदियाँ प्रकृति की विशिष्ट रचना हैं और जल का मुख्य स्रोत हैं। छोटी नदियाँ विभिन्न कारणों से अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही हैं और तेज़ी से विलुप्त हो रही हैं। इस पुस्तक में प्रमुख रूप से उत्तर प्रदेश के विभिन्न जनपदों में बहने वाली छोटी नदियों के सूखने और विलुप्त होने की समस्या को उठाया गया है। ग्रामीण क्षेत्रों में किसान छोटी नदियों और प्राकृतिक नालों के बहाव क्षेत्रों को अतिक्रमित कर अपनी जोतों में शामिल कर लेते हैं जिसके कारण इन नदियों का अस्तित्व खतरे में है । शहरी और औद्योगिक क्षेत्रों का कचरा नदियों में बहाने से जीवनदायिनी नदियाँ गन्दे और जहरीले नालों में बदल रही हैं। छोटी नदियों को मैं लोकतान्त्रिक नदियाँ कहता हूँ क्योंकि वे हमारे खेतों और घरों तक पानी लेकर आती हैं। आज अदूरदर्शी मानवीय कृत्यों की वजह से छोटी नदियाँ विलुप्ति के कगार पर हैं।

जागरूक व्यक्ति एवं संगठन छोटी नदियों और अन्य जल निकायों को संरक्षित और पुनर्जीवित करने के निरन्तर प्रयास कर रहे हैं। कुछ प्रयासों में सफलता भी मिली है। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा मनरेगा के आवंटित बजट से छोटी और मध्यम आकार की नदियों और उनके उद्गम स्थलों की सिल्ट सफाई का जो सराहनीय निर्णय लिया गया है उसके परिणामस्वरूप कई नदियों को पुनर्जीवित किया जा सका है। प्रदेश एवं देश के विभिन्न स्थानों पर जल संरक्षण और नदियों के पुनर्जीवन के लिए काम करने वाले व्यक्तियों के योगदान को स्वीकारते हुए हमने उन्हें 'कलियुग का भगीरथ' कहा है। साहित्य, सिनेमा, मिथक एवं लोककथाओं में नदियों के बारे में जो आख्यान हैं और उनमें जो सन्देश निहित हैं उन्हें इस पुस्तक में सम्मिलित किया गया है जिससे जनसामान्य उनसे परिचित और जागृत हो सके। नदियों और अन्य जलस्रोतों के साथ आमजन का जो पारस्परिक व्यवहार और जल संरक्षण की विकसित पद्धतियाँ रही हैं उनके बारे में भी विवरण इस पुस्तक में दिया गया है। प्रकृति ने अपने संसाधनों को अलग-अलग भौगोलिक क्षेत्रों में जिस लोकतान्त्रिक और तार्किक पद्धति से विभाजन किया है उस पद्धति को जानने, समझने के साथ उनका सम्मान करना सीखना होगा। इसके लिए समय-समय पर बने कानूनों, योजनाओं और उनसे अर्जित सफलताओं का भी वर्णन इस अध्ययन में सम्मिलित किया गया है। नदियों और अन्य जल निकायों में उपलब्ध जल का सदुपयोग करते हुए उनके अस्तित्व को बचाये रखना आज हमारा दायित्व है, ताकि भविष्य की पीढ़ियाँ स्वस्थ और प्रकृतिपरक जीवन जी सकें।

राकेश कबीर (Rakesh Kabeer )

राकेश कबीर एक युवा कवि, कहानीकार और लेखक हैं। उनकी कविताएँ, कहानियाँ और लेख हिन्दी और अंग्रेज़ी की अनेक पत्र और पत्रिकाओं में प्रकाशित और चर्चित होती रही हैं। उनकी कविताओं में जल, जंगल और ज़मी

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