Muhabbat Ke Sikke

Rekha Maitra Author
Hardbound
Hindi
9788181438515
1st
2008
88
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जब से कवियों ने कविताएँ लिखना शुरू किया है प्रेम कविता का एक स्थायी विषय रहा है। अलग-अलग कवियों ने अपने-अपने नज़रिये से प्रेम को देखा है, परखा है और अभिव्यक्त किया है। रेखा मैत्र ने प्रेम के लिए सिक्कों का बिम्ब चुना है। यूँ भी प्रेम में दिल का ख़ज़ाना लुटाना एक आम मुहावरा है । रेखा मैत्र की उस कविता का हवाला दें जिस पर संग्रह का नामकरण हुआ है तो वे भी मुहब्बत के सिक्कों को लुटाने की बात करती हैं। लेकिन इन कविताओं में प्रेम के दूसरे बिम्ब भी हैं । सूनेपन के, रिक्तता के मानो ख़ाली ख़ज़ानों की छवियाँ भी इन कविताओं में रेखा जी अंकित की है और एक हल्की-सी अवसाद की छाया जो प्रेम में हरदम महसूस होती है चाहे दिल का ख़ज़ाना भरा हो या ख़ाली । यही इन कविताओं को मार्मिक बनाता है।

रेखा मैत्र (Rekha Maitra)

रेखा मैत्र का जन्म बनारस (उ.प्र.) में हुआ। प्राथमिक शिक्षा बनारस में होने के बाद आपने सागर विश्वविद्यालय से हिन्दी साहित्य में एम.ए. किया। तदनन्तर, मुम्बई विश्वविद्यालय से टीचर्स ट्रेनिंग में

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