Koormanchali Ki Kavitayen

Hardbound
Hindi
9789350724286
1st
2013
122
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आओ सुनें चुपचाप चिड़िया का गान !

“काफल पाको त्वील नी चाखो" की मधुर तान !

सुनें उसे बस और कुछ न सुनें,

कुछ न करें, बस सुनें सुनें,

सुनते रहें चुपचाप !

न गिनें कि जंगल में देवदारु कितने हैं?

कितने बाँज ? चीड़ कितने हैं?

न सुनें वायु का रुदन

झरनों की छल छल कल कल

पत्तों की सर सर खर खर

झींगुरों की झिंग झनन झनन !

कुछ न करें बस लेटे रहें

सुनते रहें चिड़िया का गान

“काफल पाको त्वील नी चाखो" की मधुर तान

पास पास घास पर

जब तक अनायास ही

हमारे होंठों से प्यास किसी पिछले जीवन की न फूट पड़े बन

“काफल पाको मील नी चाखो" की मधुर तान !

मनोहर श्याम जोशी (Manohar Shyam Joshi)

मनोहर श्याम जोशी 9 अगस्त, 1933 को अजमेर में जन्मे, लखनऊ विश्वविद्यालय के विज्ञान स्नातक मनोहर श्याम जोशी ‘कल के वैज्ञानिक’ की उपाधि पाने के बावजूद रोजी-रोटी की खातिर छात्रा जीवन से ही लेखक और पत्

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